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व्लादिमीर पुतिन जाएंगे उत्तर कोरिया, जानिए क्या हैं इसके मायने

व्लादिमीर पुतिन का उत्तर कोरिया दौरा

राष्ट्रपति पुतिन के बहुप्रतीक्षित उत्तर कोरिया दौरे पर सभी की नजर

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उत्तर कोरिया दौरे की चर्चा लंबे समय से हो रही है। यह दौरा तब से अपेक्षित था जब किम जोंग उन ने अपनी हरे रंग की विशाल बुलेट ट्रेन के साथ रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों की यात्रा के दौरान पुतिन को अपने देश का दौरा करने का निमंत्रण दिया था। पुतिन ने यह निमंत्रण खुशी से स्वीकार कर लिया था।

दौरे की तारीख और तैयारियां

दक्षिण कोरियाई सूत्रों के अनुसार, पुतिन इसी मंगलवार को उत्तर कोरिया के दौरे पर जा सकते हैं। सैटेलाइट तस्वीरों से भी उत्तर कोरिया में इस दौरे की तैयारियों की पुष्टि होती है। क्रेमलिन ने बयान दिया है कि दौरे की जानकारी सही समय पर सार्वजनिक की जाएगी, लेकिन अटकलें तेज हो चुकी हैं।

दौरे का महत्व

पुतिन का यह दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनका दूसरा उत्तर कोरिया दौरा होगा। इससे पहले वह साल 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद उत्तर कोरिया गए थे। इस दौरान किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता थे।

रूस-उत्तर कोरिया संबंधों का विश्लेषण

रूस और उत्तर कोरिया के संबंध हाल के वर्षों में और मजबूत हुए हैं। यह रिश्ता अब दोस्ती से बढ़कर एक-दूसरे के फायदे के लिए हो गया है, जो पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है। हालांकि, इन संबंधों की गहराई अभी भी सोवियत संघ के समय जैसी नहीं है।

क्रेमलिन का कहना है कि दोनों देशों के बीच ‘बहुत गहरे संबंध’ विकसित होने की संभावना है। रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों की गहराई पर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, खासकर हथियारों की आपूर्ति के मामले में।

सैन्य सहयोग और प्रतिबंध

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रूस उत्तर कोरिया से गोला-बारूद, निर्माण कार्यों के लिए मजदूर और युद्ध में हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर्स की मांग कर सकता है। बदले में उत्तर कोरिया को रूसी उत्पाद और सैन्य तकनीक मिल सकती है, जो उसके लंबी दूरी के मिसाइल कार्यक्रम को मजबूत बना सकती है।

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, उत्तर कोरिया ने रूस को तोप के लगभग पचास लाख गोले भेजे हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच सहयोग पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद बढ़ता दिख रहा है।

वैश्विक परिदृश्य और पुतिन की रणनीति

पुतिन के इस दौरे का एक प्रमुख उद्देश्य यह दिखाना है कि रूस पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद अपने नए मित्र देशों के साथ संबंध बना सकता है। यह दौरा पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को चुनौती देने का भी संकेत है।

पुतिन ने ईरान और जिम्बाब्वे जैसे प्रतिबंधित देशों के साथ भी अपने संबंध मजबूत किए हैं। उन्होंने कई बार पश्चिमी दबदबे के खत्म होने की बात कही है और उन देशों को रिझाने की कोशिश की है जो इस विचार से सहमत हैं।

दौरे का संभावित परिणाम

पुतिन का उत्तर कोरिया दौरा वैश्विक मंच पर एक बड़ा संदेश देने वाला है। यह दौरा दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग का संकेत है और संभवतः अन्य देशों को भी पश्चिमी प्रतिबंधों को नजरअंदाज कर रूस के साथ व्यापार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

निष्कर्ष

रूस और उत्तर कोरिया के बढ़ते संबंधों को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं हो रही हैं। पुतिन का यह दौरा वैश्विक राजनीति में नए समीकरण बना सकता है और रूस की पश्चिमी प्रतिबंधों से निपटने की रणनीति को भी उजागर कर सकता है।

आगामी दिनों में इस दौरे के परिणाम और इसके प्रभाव पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।

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