छिंदवाड़ा: नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के आरोपी को आजीवन कारावास, शेष जीवनकाल तक जेल में बिताने का आदेश
छिंदवाड़ा: जिला छिंदवाड़ा के दमुआ थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने वाले आरोपी मोहम्मद सैफ को अदालत ने कड़ी सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी है, जो उसके शेष जीवनकाल (मृत्यु) तक चलेगी। इसके साथ ही, अदालत ने आरोपी पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह सजा न्यायालय ने पाक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366, 376 के तहत सुनाई है।
कैसे हुआ था अपराध?
घटना की शुरुआत 5 सितंबर 2022 को हुई थी, जब 16 वर्षीय पीड़िता अपने घर से गणेश आरती के लिए निकली थी, लेकिन रातभर घर नहीं लौटी। इसके बाद, परेशान परिजनों ने 7 सितंबर को दमुआ थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस जांच के दौरान पता चला कि आरोपी मोहम्मद सैफ (उम्र 24 वर्ष), जो पीड़िता के भाई का दोस्त था, ने पीड़िता को शादी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर भोपाल ले गया और वहां जबरन उसके साथ बलात्कार किया।
पुलिस ने ऐसे सुलझाया मामला
जांच में पाया गया कि मोहम्मद सैफ ने लड़की को शादी का लालच देकर अपने साथ भोपाल ले जाकर अपराध को अंजाम दिया। पुलिस की तत्परता से पीड़िता को भोपाल से बरामद किया गया और आरोपी को हिरासत में लिया गया। दमुआ थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अपराध क्रमांक 248/2022 के तहत धारा 363, 366 (A), 376, 376 (2)(n) भादवि और 3, 4, 5 (1)(5) लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और विस्तृत विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
अदालत का फैसला
प्रकरण की सुनवाई जिला अदालत जुन्नारदेव में हुई, जहां अपर सत्र न्यायाधीश ने 1 अक्टूबर 2024 को अपना फैसला सुनाया। न्यायालय ने आरोपी मोहम्मद सैफ को दोषी करार देते हुए शेष जीवनकाल (मृत्यु) तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 363 और 366 के तहत आरोपी को 5-5 साल के सश्रम कारावास और 10,000 रुपये जुर्माने से दंडित किया गया।
अभियोजन अधिकारी और पुलिस की सराहनीय भूमिका
इस केस की विवेचना दमुआ थाने की उप-निरीक्षक अंजना मरावी द्वारा की गई, जबकि न्यायालय में अभियोजन पक्ष की पैरवी अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती गंगावति डहेरिया ने की। पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ए.पी. सिंह ने जिले के सभी थाना प्रभारियों को न्यायालय में साक्ष्यों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने और ऐसे संवेदनशील मामलों में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जिसके परिणामस्वरूप यह प्रकरण शीघ्र ही सुलझाया गया।
मध्य प्रदेश पुलिस की सतर्कता का परिणाम
यह मामला मध्य प्रदेश पुलिस के सतर्कता और त्वरित कार्रवाई का उदाहरण है, जिससे न्यायालय ने आरोपी को कड़ी सजा दी है। ऐसे मामलों में त्वरित न्याय न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने का काम करता है, बल्कि समाज में एक सख्त संदेश भी देता है कि महिलाओं और नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।