माउंट एवरेस्ट अभियान 2025: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की दिव्यांग कर्मचारियों के लिए सशक्तिकरण की अनूठी पहल, दृष्टिबाधित कर्मचारी को मिला विशेष प्रायोजन

मुंबई, । यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह सिर्फ एक वित्तीय संस्थान नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशिता और दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बैंक ने आज औपचारिक रूप से घोषणा की कि वह माउंट एवरेस्ट अभियान 2025 के लिए अपनी एक दृष्टिबाधित कर्मचारी छोंजिन अंगमो को 56 लाख रुपये का प्रायोजन प्रदान कर रहा है। यह कदम न केवल साहसिकता और नेतृत्व को बढ़ावा देता है, बल्कि दिव्यांग कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहा है।
दिव्यांग सशक्तिकरण में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ऐतिहासिक पहल
बैंक की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ ए. मणिमेखलै ने अंगमो के साहस और आत्मबल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास न केवल उनके लिए बल्कि पूरे बैंक परिवार के लिए गर्व का विषय है। दिल्ली अंचल कार्यालय में एक विशेष समारोह में, ए. मणिमेखलै ने अंगमो को उनकी एवरेस्ट यात्रा के लिए वित्तीय सहायता का चेक सौंपा।
छोंजिन अंगमो: एवरेस्ट की ओर बढ़ता हुआ आत्मविश्वास
छोंजिन अंगमो, जो पहले ही कई कठिन अभियानों में हिस्सा ले चुकी हैं, अब माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दृष्टिबाधित भारतीय महिला बनने की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने अक्टूबर 2024 में एवरेस्ट बेस कैंप अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया था, जिसके आधार पर उन्हें आगामी एवरेस्ट चढ़ाई के लिए चुना गया।
छोंजिन का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद प्रेरणादायक रहा है — उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर में 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित कुमार पोस्ट तक चढ़ाई की है। साथ ही, वे खारदुंग ला पास साइक्लिंग प्रतियोगिता और कनम पीक अभियान जैसे आयोजनों में भी भाग ले चुकी हैं।
समावेशिता और प्रेरणा की नई ऊंचाइयों की ओर
यह पहल यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की उन कोशिशों का हिस्सा है, जो कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत समावेशिता, दिव्यांगजन अधिकार और नेतृत्व विकास जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं। अंगमो की यह उपलब्धि न केवल दिव्यांगजनों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि पूरे देश के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मबल की मिसाल है।