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भोपाल: अर्ध-सरकारी संस्थानों के नेताओं ने पुनर्नियुक्ति प्रथा के खिलाफ उठाई आवाज

भोपाल: अर्ध-सरकारी संस्थानों के वरिष्ठ नेता, अरुण वर्मा और अनिल बाजपेई ने सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति की प्रथा का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि इस प्रथा के चलते निगमों और सहकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं बढ़ रही हैं। उन्होंने इसे बंद करने और खाली पदों पर बेरोजगार युवाओं की नियुक्ति की मांग की है।

**विरोध के मुख्य बिंदु:**
– **पुनर्नियुक्ति प्रथा:** सेवानिवृत्ति के बाद वरिष्ठ कर्मचारियों को फिर से नियुक्त करने की प्रथा।
– **भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची:** पुनर्नियुक्ति प्राप्त कर्मचारियों द्वारा अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की घटनाएं।
– **बेरोजगार युवाओं की अनदेखी:** खाली पदों पर नई नियुक्तियों के बजाय पुनर्नियुक्ति से युवाओं के अवसरों पर असर।

**नेताओं की मांग:**
– **प्रथा का अंत:** सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति की प्रथा को समाप्त करने की मांग।
– **युवाओं की नियुक्ति:** रिक्त पदों पर बेरोजगार युवाओं को नियुक्त करने का आह्वान।
– **भ्रष्टाचार पर अंकुश:** निगमों और सहकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर नियंत्रण लगाने की मांग।

इस मुद्दे पर नेताओं ने माननीय मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि निगमों और सहकारी संस्थाओं में बदलाव लाया जा सके और युवाओं के लिए नए अवसर सृजित किए जा सकें।

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