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पूर्व सेनाध्यक्ष और नौसेना प्रमुखों ने “अग्निवीर स्कीम” की आलोचना की, उठाए अहम सवाल

नई दिल्ली । पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एम.एन. नरवाने के बाद अब पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल राहुल प्रकाश और एडमिरल करमबीर सिंह ने भी “अग्निवीर स्कीम” पर आपत्ति जताई है। एडमिरल करमबीर सिंह, जो मई 2019 से नवंबर 2021 तक भारतीय नौसेना के प्रमुख रहे, ने कहा कि अग्निपथ योजना सेना की युद्ध क्षमता को कम करेगी और इसका उद्देश्य केवल पेंशन बिल को कम करना है।

आलोचनाएँ और चिंताएँ

– एडमिरल करमबीर सिंह: “अग्निपथ योजना सेना की युद्ध क्षमता को कम करेगी और इसका एकमात्र उद्देश्य पेंशन बिल को कम करना है।”
एडमिरल अरुण प्रकाश: सेना में किसी भी बदलाव का लिटमस टेस्ट यह होना चाहिए कि क्या यह युद्ध क्षमता को बढ़ाता है या नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अर्थशास्त्र को पीछे छोड़ दिया जाना चाहिए। अग्निपथ योजना ने लड़ाकू सेना यूनिट्स पर संचालन की भारी बाधाएं डाल दी हैं।”

रक्षा मंत्रालय का पक्ष

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि उन्होंने अग्निवीर योजना को लागू करने से पहले सेना से जुड़े 158 संगठनों से चर्चा की थी।

अहम सवाल

जब तत्कालीन सेनाध्यक्ष ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि अग्निवीर स्कीम PMO से अचानक आई थी और पूर्व नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं, तो यह सवाल उठता है कि रक्षा मंत्रालय ने किन 158 संगठनों से चर्चा करके जून 2022 में अग्निवीर योजना लागू की?

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