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भिंड : भारत के राष्ट्रपति को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और एसकेएम का ज्ञापन: किसानों और श्रमिकों की समस्याओं पर हस्तक्षेप की मांग

गोहद। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने संयुक्त रूप से भारत की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भेजा है। यह ज्ञापन श्रमिकों और किसानों के अधिकारों और समस्याओं को उजागर करते हुए उनकी मांगों को हल करने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील करता है।

ज्ञापन में कहा गया है कि 26 नवंबर को विरोध दिवस के रूप में चुना गया है, क्योंकि यह वही दिन है जब श्रमिकों ने श्रम विरोधी कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी और किसानों ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में संसद की ओर ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था।

ज्ञापन में किसानों के लंबे संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं। वहीं, श्रमिकों को भी सरकार की नीतियों के चलते गहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है।

ज्ञापन की मुख्य बातें:

1. किसानों की समस्याएं:

खेती की बढ़ती लागत और 12-15% मुद्रास्फीति के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में केवल 2-7% की बढ़ोतरी।

बिना गारंटी और सी2+50% फार्मूले के लागू किए, MSP में मामूली वृद्धि (धान का एमएसपी 5.35% बढ़ाकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल किया गया)।

मंडियों में अनियमितताओं और केंद्र सरकार की नीतियों के कारण फसलों की खरीद प्रभावित।

अनुबंध खेती और वाणिज्यिक फसलों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं से किसानों पर दबाव।



2. श्रमिकों की समस्याएं:

श्रम संहिताओं का विरोध।

आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथाओं को समाप्त करने की मांग।

सभी श्रमिकों के लिए 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी।




ज्ञापन में रखी गई 12 सूत्रीय मांगे:

1. सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत MSP और सी2+50% फार्मूले का पालन।


2. श्रम संहिताओं को निरस्त कर श्रमिकों के हितों की रक्षा।


3. राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का लागू होना।


4. किसानों की ऋण माफी और आत्महत्याओं को रोकने के लिए ठोस कदम।


5. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना।


6. डिजिटल कृषि मिशन और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समझौतों को रोकना।


7. जबरन भूमि अधिग्रहण को रोकना और भूमि अधिग्रहण कानून (2013) को लागू करना।


8. मनरेगा के तहत 200 दिनों का रोजगार और 600 रुपये दैनिक मजदूरी सुनिश्चित करना।


9. फसलों और मवेशियों के लिए व्यापक बीमा योजना लागू करना।


10. असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 60 वर्ष की आयु में 10,000 रुपये मासिक पेंशन।


11. विभाजनकारी और कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों को समाप्त करना।


12. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए फास्ट ट्रैक न्यायिक प्रणाली लागू करना।



राष्ट्रपति से अपील

ज्ञापन में राष्ट्रपति से इन समस्याओं पर तुरंत हस्तक्षेप करने और एनडीए सरकार पर श्रमिकों और किसानों के हित में ठोस कदम उठाने का दबाव बनाने की मांग की गई है।

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किसानों की समस्याएं

श्रमिकों के अधिकार

26 नवंबर विरोध दिवस

MSP की मांग

श्रम संहिताओं का विरोध

फसल बीमा योजना

किसानों की ऋण माफी

मनरेगा रोजगार गारंटी

न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा


यह ज्ञापन मजदूरों और किसानों की समस्याओं को उजागर करते हुए उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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