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वायरल वीडियो: पॉपुलर महिला की जींस पर सोशल मीडिया में बहस – फैशन या मर्यादा की सीमा?

सोशल मीडिया ।  इंटरनेट पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला पब्लिक प्लेस में बेहद ट्रेंडी और बोल्ड स्टाइल की जींस पहने हुए नज़र आ रही है। इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जहां एक पक्ष इसे फैशन की आज़ादी और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का हिस्सा मान रहा है, तो वहीं दूसरा पक्ष इसे मर्यादा और सार्वजनिक शालीनता की सीमाओं से परे बता रहा है।

कौन है यह महिला?

वीडियो में दिख रही महिला के बारे में स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यूज़र्स का दावा है कि वह कोई लोकप्रिय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर या पब्लिक फिगर हो सकती हैं। उनकी जींस की कटिंग और डिजाइन को लेकर ही विवाद खड़ा हो गया है।

कुछ यूज़र्स ने कमेंट किया – “क्या यह फैशन है या ध्यान आकर्षित करने की कोशिश?”, वहीं दूसरे लोगों ने लिखा – “ये कपड़े उनकी चॉइस हैं, हमें जज नहीं करना चाहिए।”

फैशन बनाम मर्यादा – बहस क्यों?

समर्थन में बोलने वालों का कहना है कि हर व्यक्ति को अपनी पसंद के कपड़े पहनने का अधिकार है और समाज को महिलाओं की ड्रेस पर बार-बार टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।

आलोचकों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर पहनावा ऐसा होना चाहिए जो ‘सभ्यता’ की परिभाषा में आता हो, खासकर जब बात समाज के सामने उदाहरण पेश करने की हो।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

समाजशास्त्रियों और फैशन विश्लेषकों का मानना है कि यह बहस फैशन बनाम नैतिकता नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता और महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर पुरानी सोच की टकराहट है।

डिजिटल युग में वायरल कंटेंट बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन इसके साथ ही ट्रोलिंग और मॉरल पोलिसिंग भी बढ़ जाती है, जो किसी की निजी गरिमा पर हमला बन सकता है।


संविधान और स्वतंत्रता की बात

भारतीय संविधान हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार (अनुच्छेद 19) देता है। यदि कोई महिला अपने पहनावे से अपनी पहचान बना रही है, तो उसे अश्लीलता बताना कहीं न कहीं व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

निष्कर्ष – क्या हमें सोचने की ज़रूरत है?

यह जरूरी है कि हम सोशल मीडिया पर वायरल चीजों को देखने के साथ-साथ खुद से यह सवाल भी करें कि कहीं हम किसी की स्वतंत्रता की सीमा पर अपनी राय थोप तो नहीं रहे?

फैशन के नाम पर ट्रेंड्स आते-जाते हैं, लेकिन किसी व्यक्ति की गरिमा और पहचान को सिर्फ कपड़ों के आधार पर आंकना, आज के जागरूक समाज के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता।

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