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पिपलानी में भव्य वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव: प्रभु आदिनाथ की भक्ति में झूमे श्रद्धालु, स्वर्ण जयंती अवसर पर उमड़ा जनसैलाब

भोपाल, पिपलानी । श्री आदिनाथ जिनालय, पिपलानी में आयोजित स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में भव्य वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और आत्मिक उल्लास के साथ किया गया। चार दिवसीय अनुष्ठान में प्रभु आदिनाथ का वैदिक विधान से जलाभिषेक, पूजा-अर्चना व याग मंडल विधान हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

स्वर्ण जयंती पर विशेष आयोजन

यह 50वाँ स्थापना वर्ष पिपलानी जैन समाज के लिए विशेष गौरव का विषय रहा। इस अवसर पर मुनि श्री विमल सागर महाराज जी व उनके सा.संघ के सानिध्य में धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। विध्यानाचार्य अविनाश भैया और अनिल भैया के निर्देशन में भक्ति रस में डूबे कार्यक्रमों का संचालन किया गया।

प्रवक्ता अंशुल जैन ने जानकारी दी कि बुधवार को नवीन वेदिका पर भगवान आदिनाथ की प्रतिष्ठा की जाएगी और स्वर्ण कलश का भव्य आरोहण किया जाएगा।

मंदिर परिसर में छाई भक्ति की बयार

मुनि श्री विमल सागर महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि – “मन और इंद्रियों पर पूर्ण विराम से ही आत्मिक चेतना जागृत होती है। संयम ही भारतीय संस्कृति की सबसे मूल्यवान धरोहर है।”

इस आयोजन में पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक मांडनों और याग मंडल विधान से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने अरघ अर्पण कर अपने जीवन के मंगल की कामना की।

इंद्र-इंद्राणियों ने भक्ति नृत्य से की प्रभु आराधना

समारोह में इंद्र-इंद्राणियों की पारंपरिक भक्ति नृत्य प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। “केसरिया-केसरिया, आज हमारे रंग भयो केसरिया…” जैसे भजन पूरे वातावरण को भक्तिरस में रंगते रहे।

जैन पाठशाला परिवार की ओर से जैन दर्शन पर आधारित नृत्य-नाटिका का भी भव्य मंचन किया गया, जिसने बच्चों और युवाओं को भी जोड़ने का सफल प्रयास किया।

समिति और महिला मंडल का योगदान

कार्यक्रम को सफल बनाने में मंदिर समिति के राजू गोयल, प्रदीप हरसोला, अरविंद पंत, नितेश जैन सहित अनेक सदस्यों ने योगदान दिया।

वहीं महिला मंडल की श्रीमती मृदु जैन, अनिता पंत, मंजु हरसोला, मीना जैन, सुनीता बड़कुर, नेहा जैन आदि की उपस्थिति और सेवाभाव पूरे आयोजन में दिखाई दिया।

निष्कर्ष:
पिपलानी श्री आदिनाथ जिनालय का यह वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि जैन संस्कृति, आस्था और सेवा परंपरा का सजीव उदाहरण भी था। ऐसे आयोजनों के माध्यम से समाज में धर्म, शांति और संयम के संदेश को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है।

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