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कोचिंग सेंटर्स पर आशिकी के चलते विवाद: अपराध का बढ़ता ग्राफ

रिपोर्टर : शैलेन्द्र भटेले

गोहद/भिंड । गोहद नगर में हालिया घटनाएं प्रशासन की लापरवाही को स्पष्ट रूप से उजागर कर रही हैं। शहर में चोरी, लूटपाट और छेड़छाड़ के मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। कई बार अपराधों की शिकायतें पुलिस तक नहीं पहुंच पातीं क्योंकि प्रशासनिक कार्यशैली सुस्त और पक्षपातपूर्ण है। वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए कर्मचारी निजी संबंधों के चलते अपने कर्तव्यों में नाकाम हो रहे हैं, जिससे सामाजिक बुराइयों और अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है।

यदि कुछ मामलों की शिकायतें दर्ज भी हो जाती हैं, तो अपराधी का स्वभाव और घटना का स्वरूप बदल दिया जाता है, जिससे उन्हें राजीनामा करने का अवसर मिल जाता है। ऐसे में पीड़ित पक्ष कमजोर होकर प्रशासनिक कार्यवाही से निराश हो जाता है और मजबूरी में समझौता करने पर विवश होता है।

नगर के कोचिंग सेंटरों के आसपास आवारा लड़कों के समूह आमतौर पर देखे जा सकते हैं, जिन्हें प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है। यही लापरवाही बाद में बड़ी घटनाओं का कारण बनती है। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जो अपराध के रूप में दर्ज हुए हैं, जबकि कुछ घटनाओं को दबा दिया जाता है, जो बाद में गंभीर अपराधों को जन्म देती हैं।

हाल ही में, कोट का कुआं इलाके में दो पक्षों के बीच हुए विवाद ने फायरिंग तक की स्थिति पैदा कर दी, जिसमें एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। पहले पुलिस के जवान सुबह से ही कोचिंग सेंटरों के बाहर गश्त किया करते थे, जिससे घटनाओं पर अंकुश था। परंतु अब ऐसी गश्त का अभाव अपराधों को बढ़ावा दे रहा है।

महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों का ग्राफ चिंताजनक है। शहर के युवाओं में बढ़ती नशाखोरी और आवारागर्दी भी अपराध का एक बड़ा कारण है। कोचिंग सेंटरों और शहर में CCTV कैमरों की कमी अपराधियों को खुलेआम वारदातों को अंजाम देने का मौका देती है। कोचिंग सेंटर संचालक और नगरपालिका की लापरवाही स्पष्ट रूप से दिख रही है।

जब घटनाएं घटित हो जाती हैं, तब प्रशासन कार्रवाई करता है, लेकिन समय रहते सजगता नहीं दिखाता। वहीं, यदि कोई पत्रकार समय रहते इन समस्याओं को उजागर करने की कोशिश करता है, तो भ्रष्ट अधिकारी उसे बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। कुछ पत्रकार भी ऐसे हैं, जो अपने स्वार्थ के लिए सत्य को उजागर नहीं करते और भ्रष्ट अधिकारियों का समर्थन करते हैं, जिससे सत्य दबा दिया जाता है।

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