महाकाल मंदिर में दान का आंकड़ा चार गुना बढ़ा: ₹60 करोड़ पार, उज्जैन बना देश का नंबर-1 धार्मिक केंद्र

उज्जैन, । विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर एक बार फिर श्रद्धा और विश्वास का सर्वोच्च प्रतीक बनकर उभरा है। बीते दो वर्षों में न सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड स्तर की बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि मंदिर में प्राप्त दानराशि का आंकड़ा भी चार गुना बढ़कर ₹60 करोड़ के पार पहुंच गया है। यह वृद्धि न केवल मंदिर प्रबंधन की पारदर्शी कार्यप्रणाली का परिणाम है, बल्कि उज्जैन को भारत का नंबर-1 धार्मिक केंद्र बनाने का संकेत भी देती है।
दो वर्षों में ऐतिहासिक आँकड़े
श्रद्धालु आगमन: 12.32 करोड़ (2023 से 2025 के बीच)
दानराशि प्राप्ति: ₹60.12 करोड़ (पिछले दो वर्षों में)
पहले की तुलना में वृद्धि: चार गुना अधिक
(2020-22 की तुलना में लगभग ₹15 करोड़ था दी। महाकाल लोक परियोजना ने बदली तस्वीर
महाकाल मंदिर के इस अभूतपूर्व विकास के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित महाकाल लोक परियोजना की बड़ी भूमिका रही है। इस परियोजना ने उज्जैन को सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पर्यटन हब में तब्दील कर दिया है।
900 मीटर लंबा महाकाल कॉरिडोर,
108 स्तंभों और भव्य शिल्प कलाओं से सुसज्जित,
ध्यान केंद्र, वॉकवे, लाइट एंड साउंड शो, और अत्याधुनिक सुविधाएं
इन सबने श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ सुविधाजनक दर्शन का अवसर प्रदान किया।
दान में क्यों आई इतनी तेज़ी?
1. ऑनलाइन डोनेशन पोर्टल्स और UPI इनेबल्ड सिस्टम
2. पारदर्शी लेखा-जोखा और उपयोग की सार्वजनिक जानकारी
3. मंदिर में सेवा के लिए दान को उद्देश्य आधारित बनाया गया
4. देश-विदेश से भक्तों की सीधी भागीदारी
उज्जैन बना भारत का नंबर-1 धार्मिक केंद्र
जहाँ एक ओर काशी, हरिद्वार और तिरुपति जैसे परंपरागत धार्मिक स्थलों की अपनी महत्ता बनी हुई है, वहीं उज्जैन ने अब इन स्थलों को श्रद्धालु संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों मामलों में पीछे छोड़ दिया है। सालाना 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की आमद के साथ यह देश का सबसे व्यस्त तीर्थ बन चुका है।
महाकाल मंदिर समिति की प्रतिक्रिया
मंदिर समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
> “यह सब श्रद्धालुओं के विश्वास, सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और पारदर्शी प्रबंधन का परिणाम है। हमें गर्व है कि महाकाल की नगरी आज न केवल मध्यप्रदेश की, बल्कि भारत की भी आध्यात्मिक राजधानी बन चुकी है।”
आगे की योजनाएँ
महाकाल लोक फेज-2 की तैयारियाँ
श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम सुविधा
दर्शन और भस्म आरती बुकिंग का विस्तार
रेलवे और एयर कनेक्टिविटी को और सशक्त बनाना