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पंचांग में लिखा सच साबित हुआ: विमान दुर्घटना जैसी घटनाओं की भविष्यवाणी शास्त्रों में पहले से दर्ज

भोपाल, ।  हाल ही में देश के भीतर हुई वायुयान दुर्घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, वहीं भारत की प्राचीन पंचांग परंपरा और शास्त्रों में विश्वास रखने वाले लोगों के बीच एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। कई विद्वानों और ब्राह्मणों का दावा है कि इस दुर्घटना की संभावना पहले से पंचांग में दर्ज थी।

शास्त्रों और ग्रहों की चाल में छिपा संकेत

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहों की विशेष स्थिति, विशेषकर शनि, राहु और मंगल की युति को लेकर पहले से संकेत दिए जा रहे थे कि यह समय यात्राओं, विशेषकर हवाई यात्रा के लिए अशुभ हो सकता है। कुछ पंचांगों और ज्योतिष पत्रिकाओं में भी इसे लेकर चेतावनियां प्रकाशित की गई थीं।

ब्राह्मणों की विद्या पर एक बार फिर भरोसा

पारंपरिक ज्ञान रखने वाले कई विद्वानों का मानना है कि यदि आम जन, प्रशासन और नीतिनिर्माता पंचांग व मुहूर्त का ध्यान रखें, तो इस तरह की अनहोनी घटनाओं से काफी हद तक बचा जा सकता है।

भोपाल के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. रामनारायण शर्मा ने कहा कि“भारत का पंचांग सिर्फ पूजा-पाठ के लिए नहीं है, बल्कि यह समय की ऊर्जा और संभावित घटनाओं का विज्ञान है। यदि इसका ठीक से अध्ययन किया जाए तो बड़ी दुर्घटनाओं से पहले सावधानी बरती जा सकती है।”

विज्ञान बनाम शास्त्र: बहस एक बार फिर शुरू

जहां एक ओर विज्ञान की दृष्टि से विमान दुर्घटनाओं के कारण तकनीकी खामियों, मानव त्रुटि या मौसम को माना जाता है, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक शास्त्रीय दृष्टिकोण यह संकेत देता है कि ग्रहों की चाल और मुहूर्तों की उपेक्षा करना भी घातक हो सकता है।

क्या प्रशासन को भी पंचांग देखना चाहिए?

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकारी योजनाओं, यात्राओं और विमानों की उड़ानों को भी पंचांग और शुभ मुहूर्त के आधार पर तय किया जाना चाहिए? कुछ राज्य इस दिशा में पहले से कदम बढ़ा चुके हैं, जबकि बाकी जगहों पर यह अभी विचार का विषय है।

निष्कर्ष

भारत का पंचांग सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक संदर्भ में ही नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा और संतुलन के लिए भी एक मार्गदर्शक हो सकता है – ऐसा मानना है उन लोगों का, जो सदियों पुरानी इस परंपरा में आज भी आस्था रखते हैं।

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