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पाकिस्तान के लिए गुजरात बॉर्डर खुला, अटारी बॉर्डर बंद — पंजाब के खिलाफ साजिश?

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान सीमा से जुड़े एक बड़े फैसले ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर पंजाब के अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर गुजरात बॉर्डर को व्यापार के लिए खुला रखा गया है। इस निर्णय को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या पंजाब और राजस्थान जैसे सीमावर्ती राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है? क्या यह राष्ट्रीय हित से खिलवाड़ नहीं है?

अटारी बॉर्डर बंद, गुजरात बॉर्डर से व्यापार चालू — दोहरी नीति पर सवाल

गृह मंत्रालय ने संसद में कई बार दावा किया है कि भारत एक समान कानून और नीति से चलेगा। लेकिन जब पाकिस्तान से व्यापार प्रतिबंध की बात आई, तो पंजाब और राजस्थान से आने-जाने वाले व्यापार मार्गों को बंद कर दिया गया, जबकि गुजरात के बॉर्डर से व्यापारिक गतिविधियों को जारी रखा गया।
इस कदम को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या गुजरात को विशेष छूट दी गई है ताकि वहां से अडानी समूह के पोर्ट और पावर सप्लाई जैसी गतिविधियां प्रभावित न हों?

क्या राष्ट्रीय सुरक्षा से हो रहा समझौता?

आलोचकों का कहना है कि यदि पाकिस्तान से व्यापार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, तो यह खतरा केवल पंजाब और राजस्थान के लिए ही क्यों? गुजरात के लिए अलग नियम क्यों?
कई संगठनों ने इसे “ठगी और बेईमानी की राजनीति” करार दिया है और आरोप लगाया है कि यह निर्णय केवल चहेते व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है। ड्रग्स तस्करी को लेकर भी आशंका जताई जा रही है, कि खुला बॉर्डर अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।

राष्ट्रवाद के नाम पर दोहरा मापदंड?

इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है। लोग कह रहे हैं कि इनका “राष्ट्रवाद” सिर्फ शब्दों तक सीमित है, असल में यह “डरावना और भद्दा मजाक” बन चुका है। सवाल यह भी है कि जब नुकसान इनके अपने हितों का होता है, तो सरकार खुद बनाए हुए नियम भूल जाती है।

पंजाब और राजस्थान के व्यापारी संगठनों ने भी इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई है और मांग की है कि यदि अटारी बॉर्डर बंद है तो गुजरात बॉर्डर से भी हर प्रकार का व्यापार तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।

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