पाकिस्तान में सेना और पुलिस के बीच टकराव, खैबर पख्तूनख्वा में पुलिस हड़ताल पर
*इस्लामाबाद।** पाकिस्तान में सेना और पुलिस के बीच गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। पुलिस का आरोप है कि खुफिया एजेंसियां और सेना उनके काम में दखल देती हैं, जिससे पुलिस का कार्य करना बेहद मुश्किल हो गया है। इस कारण उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुलिस पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर है। पुलिस ने मांग की है कि इस क्षेत्र से सेना और खुफिया एजेंसियों को बाहर किया जाए ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें।
9 सितंबर को सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने इंडस हाइवे पर चक्काजाम किया, जो पेशावर से कराची को जोड़ता है। लक्की मारवात में हुए इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस का आरोप था कि सेना उनके काम में हस्तक्षेप कर रही है, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापित करना कठिन हो गया है।
**सेना को बाहर करने की मांग**
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सेना को इस जिले से बाहर जाना चाहिए और पुलिस को अपना काम करने देना चाहिए। अधिकारी ने यह भी कहा कि पुलिस क्षेत्र में शांति बहाल करने का वादा करती है, बशर्ते सेना दखल न दे। रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि “अच्छा तालिबान और बुरा तालिबान” का खेल अभी भी जारी है। हम आतंकियों को गिरफ्तार करते हैं, लेकिन सेना हमें उन्हें छोड़ने के लिए कहती है।
**तालिबान से संघर्ष और आतंकवादी हमले**
खैबर पख्तूनख्वा में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में सेना की बड़ी संख्या में मौजूदगी है, विशेष रूप से अफगानिस्तान से सटे सीमा क्षेत्रों में। हाल के महीनों में इस क्षेत्र में पुलिसकर्मियों पर कई आतंकी हमले हुए हैं, जिसमें इस वर्ष अब तक लगभग 75 पुलिसकर्मी मारे गए हैं। पुलिस ने एंटी पोलियो टीमों के साथ काम करने से भी इनकार कर दिया है, क्योंकि हाल ही में एक पुलिसकर्मी की पोलियो ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी गई थी।
**विरोध में शामिल हुए अन्य जिले और राजनीतिक दल**
बन्नू, डेरा इस्माइल खान और टांक जिलों के पुलिस अधिकारी भी इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं। साथ ही कई राजनीतिक दल भी पुलिस का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं। पुलिसकर्मियों का आरोप है कि आईएसआई और सैन्य खुफिया एजेंसियां इलाके की स्थिति को और खराब कर रही हैं। पुलिस का कहना है कि उनके कई साथी या तो तालिबान लड़ाकों द्वारा किडनैप कर लिए गए हैं या उनकी हत्या कर दी गई है। पुलिसकर्मियों के परिवारों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
यह पहली बार है जब पाकिस्तान में इतने बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।