आतंकी हमले के बाद एकजुट हुआ ऑस्ट्रेलिया: सड़कों पर उतरा समाज, आतंक और जिहादी सोच के खिलाफ कड़ा संदेश

सिडनी । दुनिया भर में जब भी आतंकवादी हमले होते हैं, तब किसी भी देश की असली ताकत उसकी सामाजिक एकता और सामूहिक प्रतिक्रिया से सामने आती है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुए एक आतंकी हमले के बाद वहां का पूरा समाज जिस तरह एकजुट होकर सामने आया, वह आज वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। छोटी जनसंख्या वाले इस देश ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की स्पष्ट मिसाल पेश की है।

ऑस्ट्रेलिया में हुए आतंकी हमले के बाद वहां का मीडिया, सरकार और आम नागरिक एक सुर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े नजर आए। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने आतंकवादी के लिए बिना किसी संकोच के कठोर शब्दों का प्रयोग किया और उसे समाज के लिए खतरा बताया। मीडिया कवरेज में किसी भी तरह की नरमी या तुष्टिकरण की भाषा देखने को नहीं मिली, बल्कि साफ और सख्त रुख अपनाया गया।
आतंकी घटना के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में लोग सड़कों पर उतर आए। हाथों में तख्तियां, बैनर और राष्ट्रीय ध्वज लेकर नागरिकों ने आतंकवाद और जिहादी मानसिकता के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में यह संदेश स्पष्ट था कि ऑस्ट्रेलियाई समाज आतंक और हिंसा को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।
सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार:
रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकी विचारधारा से जुड़े संगठनों और जमात का सामाजिक अलगाव और आर्थिक बहिष्कार भी शुरू किया गया है। कई स्थानों पर ऐसे समूहों से दूरी बनाने, उनके व्यवसायों और गतिविधियों पर नजर रखने की मांग तेज हो गई है। इसे समाज द्वारा दिया गया सख्त और प्रत्यक्ष जवाब माना जा रहा है।
निष्कर्ष:
ऑस्ट्रेलिया की यह प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सुरक्षा एजेंसियों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। आतंक और जिहादी सोच के विरुद्ध एकजुट समाज ही किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत होता है।

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