मध्यप्रदेश में गेहूं स्टॉक लिमिट: 15 दिनों में 2000 मीट्रिक टन तक सीमित करना होगा स्टॉक
भोपाल:* मध्यप्रदेश में गेहूं के दामों को स्थिर रखने और कालाबाजारी को रोकने के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। मार्च 2025 तक गेहूं की स्टॉक लिमिट को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार के निर्देशों में संशोधन किया गया है। नवीन अधिसूचना के तहत थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर्स की स्टॉक सीमा में बदलाव किए गए हैं।
खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि नए आदेशों के अनुसार, व्यापारी और थोक विक्रेता को 15 दिनों के भीतर अपने गेहूं के स्टॉक को 2000 मीट्रिक टन तक सीमित करना होगा। वहीं, प्रोसेसर्स को अपनी मासिक स्थापित क्षमता के 60 प्रतिशत के अनुसार स्टॉक सीमित करना होगा, जिसे वर्ष 2024-25 के शेष महीनों की संख्या से गुणा किया जाएगा।
**सख्त कार्रवाई के निर्देश**
खाद्य मंत्री श्री राजपूत ने साफ तौर पर कहा है कि तय सीमा से अधिक स्टॉक रखने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यापारियों का गेहूं जब्त किया जाएगा। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं ताकि स्टॉक की जांच और नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।
**जिला आपूर्ति नियंत्रक की चेतावनी**
भोपाल की जिला आपूर्ति नियंत्रक मीना मालाकार ने बताया कि म.प्र. गेहूं नियंत्रण आदेश के तहत स्टॉक सीमा का उल्लंघन पाए जाने पर अधिकारियों को तलाशी और जब्ती की शक्ति दी गई है। उन्होंने जिले के सभी व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को निर्देश दिया कि वे भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्टॉक सीमा का पालन करें। किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम प्रदेश में गेहूं के दामों को स्थिर रखने और कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है, जिससे खाद्य आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा न उत्पन्न हो।