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राज्य स्तरीय ICJS कार्यशाला का आयोजन आज मिंटो हॉल, भोपाल में – डिजिटल न्याय प्रणाली को मिलेगा नया आयाम

भोपाल । मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय अंतर्गत राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (SCRB) द्वारा Interoperable Criminal Justice System (ICJS) के क्रियान्वयन एवं डिजिटल समन्वय विषय पर आज एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कुशाभाऊ ठाकरे सभागार (मिंटो हॉल), भोपाल में किया गया।

यह कार्यशाला पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश कैलाश मकवाना के मार्गदर्शन, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक SCRB जयदीप प्रसाद के नेतृत्व और उप पुलिस महानिरीक्षक हेमंत चौहान के निर्देशन में संपन्न हुई। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव एस. कलगांवकर ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज की।

ICJS कार्यशाला का उद्देश्य: डिजिटल समन्वय की सशक्त रूपरेखा

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ICJS (इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के अंतर्गत पुलिस, अभियोजन, न्यायालय, जेल, फॉरेंसिक और स्वास्थ्य विभाग के मध्य डिजिटल समन्वय एवं डेटा इंटरऑपरेबिलिटी को मजबूती देना था। इसके अतिरिक्त, वर्तमान प्रणाली में मौजूद चुनौतियों व तकनीकी खामियों की पहचान कर उनके समाधान हेतु रूपरेखा तैयार करना भी इसका अहम लक्ष्य रहा।

राज्य भर से वरिष्ठ अधिकारी हुए शामिल

इस उच्चस्तरीय कार्यशाला में ICJS के सभी स्तंभों से संबंधित वरिष्ठ IPS अधिकारीगण, जोनल स्तर के ADG, पुलिस महानिरीक्षक, सभी जिलों के न्यायाधीश, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अभियोजन अधिकारी, जेल अधीक्षक, फॉरेंसिक विशेषज्ञ तथा स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

तकनीकी विशेषज्ञों की अहम सहभागिता

कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में डिजिटल एकीकरण व डेटा संप्रेषण के विशेषज्ञ वक्ताओं ने जानकारी साझा की:

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दूरसंचार) आशुतोष पांडे, लखनऊ

दीपक कुमार, सीनियर डायरेक्टर, NIC, नई दिल्ली

सायबर लॉ कंसल्टेंट निशीथ दीक्षित


इन वक्ताओं ने ICJS के तकनीकी आयाम, साइबर सुरक्षा, डेटा ट्रांसफर तकनीक और विभागीय एकीकरण की चुनौतियों पर गहन चर्चा की।

डिजिटल न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव की ओर एक कदम

इस कार्यशाला से प्राप्त निष्कर्षों और सुझावों के आधार पर राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली का डिजिटल परिवर्तन और नए आपराधिक कानूनों का समेकित क्रियान्वयन संभव होगा। यह पहल मध्यप्रदेश में डिजिटल न्याय व्यवस्था के सशक्तीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है।

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