
सरगुजा, छत्तीसगढ़: पहले महुआ के फूलों का उपयोग केवल शराब बनाने में किया जाता था, लेकिन अब सरगुजा जिले की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इससे पोषण से भरपूर बेकरी उत्पाद तैयार कर नई मिसाल कायम की है।
महुआ कुकीज: आदिवासी क्षेत्रों में नई पहल
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के बतौली के मंगारी गौठान में चंपा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बेकरी यूनिट स्थापित की है। इन महिलाओं ने 15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद महुआ कुकीज, ब्रेड, टोस्ट और अन्य बेकरी उत्पाद बनाना शुरू किया।
महुआ कुकीज की बढ़ती डिमांड – शहरी क्षेत्रों में भी इनकी मांग बढ़ी है। महुआ के फूलों से पोषण – यह हीमोग्लोबिन बढ़ाने और कई बीमारियों को दूर करने में सहायक है। महुआ उत्पादों से ग्रामीण महिलाओं की आमदनी – ₹2,500 से ₹3,000 प्रति दिन की कमाई हो रही है।
महुआ कुकीज कैसे बनती है?
महुआ के फूलों को सुखाकर उनका पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर को मैदा और अन्य आवश्यक सामग्रियों के साथ मिलाया जाता है। 30% महुआ पाउडर मिलाकर कुकीज तैयार की जाती हैं।
महुआ के औषधीय गुण:
हीमोग्लोबिन बढ़ाता है – शरीर को अधिक ऊर्जा देता है। बुखार, पेट के अल्सर और दांत दर्द में लाभकारी। ब्रोंकाइटिस और सूजन की समस्या में राहत। घरेलू नुस्खों में उपयोग – कुछ लोग इसकी सब्जी और हलवा भी बनाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में महुआ उत्पादों की बढ़ती मांग
अंबिकापुर के सी-मार्ट और प्रमुख बेकरी स्टोर्स पर महुआ कुकीज उपलब्ध।
महुआ कुकीज की कीमत ₹400 प्रति किलो।
जिला प्रशासन द्वारा और बेकरी यूनिट खोलने की योजना।