जो परामर्श देते हैं, उसे पहले स्वयं अपनाते हैं” — डॉक्टर डे की पूर्व संध्या पर वरिष्ठ एंडोक्रिनोलॉजिस्ट का प्रेरक संदेश
भोपाल। डॉक्टर सिर्फ दवाइयाँ देने वाले नहीं, बल्कि जीते-जागते आदर्श भी होते हैं — यह विचार भोपाल के प्रसिद्ध एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. सचिन चित्तावार ने डॉक्टर डे की पूर्व संध्या पर मीडिया से संवाद के दौरान साझा किया। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य की जो शिक्षा हम दूसरों को देते हैं, उसका पालन हमें स्वयं भी करना चाहिए।”
डॉ. चित्तावार का मानना है कि डॉक्टर का निजी जीवन ही उसकी सबसे प्रभावी साख होती है। यदि चिकित्सक अस्वस्थ जीवनशैली अपनाता है, तो उसकी सलाह प्रभावहीन हो जाती है। “मैं अपने मरीजों से जो कहता हूँ, उसे सबसे पहले खुद पर लागू करता हूँ – यही मेरी नैतिक ज़िम्मेदारी है,” उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा।
अनुशासन में ही आरोग्य का मूल मंत्र
डॉ. चित्तावार की दिनचर्या एक आदर्श चिकित्सा संदेश है। वे प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठते हैं, योग और ध्यान से दिन की शुरुआत करते हैं, फिर लगभग 30 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। उनका मानना है कि यह नियमित अभ्यास न केवल शरीर को चुस्त बनाए रखता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म और हार्मोन संतुलन में भी सहायक होता है।
रात्रि में वे ‘डिजिटल डिटॉक्स’ अपनाते हैं – यानी मोबाइल और स्क्रीन से दूर रहते हैं ताकि नींद की गुणवत्ता बेहतर हो और मानसिक शांति बनी रहे।
सभी डॉक्टरों से अपील: “जो कहें, उसे पहले स्वयं अपनाएं”
डॉ. चित्तावार ने देशभर के डॉक्टरों से विनम्र आग्रह किया कि वे अपने परामर्श को अपने निजी जीवन में भी आत्मसात करें। “अगर हम खुद अस्वस्थ रहेंगे तो हमारे शब्दों का असर कम हो जाएगा। हमें समाज में एक सक्रिय, प्रेरणास्पद उपस्थिति बनानी चाहिए,” उन्होंने कहा।
उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे क्लीनिक तक सीमित न रहकर स्कूल, कॉलेज और ग्राम पंचायतों में भी स्वास्थ्य शिक्षा और जीवनशैली परिवर्तन पर कार्य करें।
भारत की सबसे बड़ी चुनौती — लाइफस्टाइल रोगों की बढ़ती महामारी
डॉ. चित्तावार ने बताया कि भारत में डायबिटीज़, मोटापा और थायरॉइड विकार जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं।
डायबिटीज़ को उन्होंने ‘भारत की मूक महामारी’ कहा — देश में हर दस में से एक व्यक्ति इसकी चपेट में है। उन्होंने HbA1c टेस्ट को नियमित रूप से कराने की सलाह दी।
मोटापा, विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में, आने वाले समय में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
थायरॉइड विकार विशेषकर महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है, पर इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। एक साधारण TSH टेस्ट से समय पर निदान और इलाज संभव है।
डॉ. चित्तावार ने ज़ोर देकर कहा कि “रोग की रोकथाम इलाज से कहीं अधिक सरल और किफायती है। हमें रोकथाम आधारित चिकित्सा प्रणाली की ओर बढ़ना होगा।”
डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति के वाहक बने डॉक्टर
डॉ. चित्तावार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने यूट्यूब और फेसबुक पर “Health Education” आधारित वीडियो सीरीज शुरू की है।
उनके ‘My Health Routine’ पोस्ट्स इंस्टाग्राम पर युवाओं को खूब प्रेरित कर रहे हैं।
फेसबुक लाइव के ज़रिए वे समय-समय पर सामाजिक संवाद और हेल्थ कैम्पेन भी चलाते हैं।
निष्कर्ष:
डॉ. सचिन चित्तावार केवल एक विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं, बल्कि एक जागरूक नागरिक और अनुशासित जीवनशैली के प्रेरक उदाहरण भी हैं। उनकी यह अपील — “डॉक्टर स्वयं स्वस्थ रहकर समाज को स्वास्थ्य का संदेश दें” — आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है।
स्वस्थ डॉक्टर, स्वस्थ समाज”: डॉ. सचिन चित्तावार की जीवनशैली बनी मिसाल
