**मालनपुर, भिंड:** भिंड जिले के मालनपुर थाना प्रभारी द्वारा एक दिव्यांग महिला के मकान पर बिना किसी दस्तावेजी आधार के ताला जड़ने का मामला सामने आया है, जो पुलिस की तानाशाही और द्वेषपूर्ण रवैया को उजागर करता है। पीड़िता सरिता शर्मा, जो खुद एक दिव्यांग हैं, ने इस अन्याय के खिलाफ उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है।
घटना रविवार रात लगभग 12 बजे की है, जब मालनपुर थाना के पुलिसकर्मी सरिता शर्मा के मकान पहुंचे और एक कमरे पर ताला लगा दिया। पुलिसकर्मियों का कहना था कि यह कार्यवाही न्यायालय गोहद के आदेश के तहत की गई है, जिसमें मोहन शर्मा की संपत्ति जब्त करने का आदेश था। हालांकि, जांच के दौरान यह पाया गया कि मोहन शर्मा के नाम से मालनपुर में कोई संपत्ति नहीं है, और उक्त मकान से उसका कोई संबंध नहीं है। सरिता शर्मा ने बताया कि उनका भाई मोहन शर्मा कभी-कभार उनके पास आता है, लेकिन मकान उनकी अपनी संपत्ति है, जिसका मोहन शर्मा से कोई लेना-देना नहीं है।
पीड़िता के अनुसार, पुलिस ने उनके निवेदन को नजरअंदाज कर दिया और थाना प्रभारी उमेश उपाध्याय ने किसी भी दलील को सुने बिना अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से यह कार्यवाही करवाई। यह घटना चंबल संभाग की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, जहां पहले भी झूठे मामलों में लोगों को फंसाने या एनकाउंटर करने की घटनाएं सामने आती रही हैं।
इस मामले में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब न्यायालय ने मोहन शर्मा की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया था, तो फिर सरिता शर्मा के मकान पर ताला क्यों लगाया गया? क्या इसके पीछे कोई और व्यक्ति पुलिस का गलत उपयोग कर रहा है? और अगर ऐसा है तो न्यायालय इस तरह की कार्यवाही की अनुमति कैसे दे सकता है?
मालनपुर थाना प्रभारी उमेश उपाध्याय का कहना है कि उन्होंने पीड़िता को 15 दिन का समय दिया है ताकि वह ऊपरी अदालत से आदेश लेकर आएं, और उन्होंने ताला लगाने के आरोपों को नकारा है। अब यह देखना बाकी है कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या पीड़िता को न्याय मिल पाता है।