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भोपाल: पर्यूषण पर्व के समापन पर सामूहिक क्षमावाणी का आयोजन, तपस्वियों का हुआ बहुमान

भोपाल। आत्मशुद्धि के महापर्व **पर्यूषण पर्व** के समापन के अवसर पर राजधानी भोपाल के मंदिरों में **सामूहिक क्षमावाणी** और **तपस्वियों का बहुमान** किया गया। शहर के प्रमुख मंदिरों में जिन प्रतिमाओं का अभिषेक और पूजा-अर्चना आचार्य विनम्र सागर महाराज के सानिध्य में संपन्न हुई, वहीं कई दिनों तक निरंतर उपवास करने वाले तपस्वियों का विशेष सम्मान किया गया।

**नंदीश्वर जिनालय** लालघाटी में आयोजन के दौरान **तप, त्याग, और संयम** की साधना करने वाले साधकों की शोभायात्रा निकाली गई, जिसका स्वागत गाजे-बाजे के साथ किया गया। प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि इस अवसर पर सभी तपस्वियों का सामूहिक पाड़ना (उपवास समापन) किया गया।

भोपाल के विभिन्न मंदिरों में इस अवसर पर उच्च शिक्षित युवक-युवतियों ने भी निरंतर उपवास साधना में भाग लिया। इस दौरान आचार्य विनम्र सागर महाराज ने अपने **आशीर्वचन** में कहा, “क्षमा मांगना और क्षमा करना अलग बातें हैं, लेकिन क्षमा को अपने अंतर्मन में समाहित करना चाहिए। जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों में संतोष और सहनशीलता से जो व्यक्ति आगे बढ़ता है, वही सच्चा साधक और परमतपस्वी कहलाता है।”

इस अवसर पर मुख्य अतिथि **विधायक रामेश्वर शर्मा** ने जैन समाज के क्षमावाणी पर्व को जन-जन का पर्व बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए **क्षमावाणी** को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।”

कार्यक्रम में बीडीए अध्यक्ष मुनन सोनी, मंदिर समिति के अध्यक्ष एडवोकेट विजय चौधरी, प्रमोद चौधरी एडवोकेट, पूर्व ट्रस्ट अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु, इंजी. सौरभ जैन, पूर्व पार्षद सोनू भाभा, विवेक जैन, टीटू लचक्या, पुष्पेंद्र जैन सहित अनेक धर्मावलंबी उपस्थित रहे।

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