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भोपाल में 26 सितंबर को पुरानी पेंशन की बहाली के लिए NMOPS का आक्रोश मार्च

भोपाल: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) मध्य प्रदेश के नेतृत्व में 26 सितंबर 2024 को राज्यभर में आक्रोश मार्च निकाला जाएगा। यह मार्च यूनिफाईड पेंशन स्कीम और नेशनल पेंशन स्कीम के खिलाफ होगा, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

NMOPS-MP के प्रांताध्यक्ष परमानंद डेहरिया ने जानकारी दी कि यह आक्रोश मार्च विजय कुमार “बंधु” के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आयोजित किया जा रहा है। इस आंदोलन में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर रैली निकाली जाएगी, और कलेक्टर के माध्यम से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा।

**नई पेंशन स्कीम से आक्रोश** 
केंद्र सरकार ने 24 अगस्त 2024 को यूनिफाईड पेंशन स्कीम को मंजूरी दी है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। NMOPS का आरोप है कि यह स्कीम नेशनल पेंशन स्कीम से भी अधिक कठोर और कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है।

2004 से लागू की गई नेशनल पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली पेंशन से कर्मचारियों के परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। NMOPS का मानना है कि पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन लाभ कहीं अधिक सुरक्षित और लाभकारी थे।

**आंदोलन की मांगें और समर्थन** 
NMOPS का यह आंदोलन 2017 से जारी है, जिसमें पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एनपीएस को आधा-अधूरा लागू करने पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिसके कारण आकस्मिक मृत्यु पर भी परिवार को लाभ नहीं मिल रहा है।

शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, वन, और नगर निगम सहित विभिन्न सरकारी विभागों के 6.50 लाख कर्मचारी और अधिकारी इस आंदोलन में शामिल हैं। यदि सरकार जल्द मांगें नहीं मानती, तो 2025 में बड़े स्तर पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है, जिसमें सभी प्रमुख विभागों से कर्मचारी भाग लेंगे।

भोपाल में यह मार्च दोपहर 1:00 बजे जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित होगा, जहां कर्मचारियों की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा।

**प्रमुख नेता और योगदान** 
इस आंदोलन का नेतृत्व NMOPS के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय नेताओं द्वारा किया जा रहा है, जिसमें परमानंद डेहरिया, हीरानंद नरवरिया, अशोक तिवारी, संतोष दीक्षित, बाबूलाल मालवीय और अन्य प्रमुख लोग शामिल हैं। सभी शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली की मांग कर रहे हैं।

 

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