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पेरिस टॉपलेस विरोध प्रदर्शन का वायरल वीडियो निकला फर्जी, बुर्के से आजादी से नहीं था कोई संबंध

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं। इस वीडियो के साथ दावा किया गया कि पेरिस में कुर्द महिलाओं ने बुर्के से आजादी के लिए प्रदर्शन किया। हालांकि, जांच में यह दावा पूरी तरह फर्जी पाया गया।

क्या है वायरल वीडियो का सच?

वायरल वीडियो में महिलाओं को पोस्टर लिए और नारे लगाते देखा गया। इस वीडियो को एक्स (पहले ट्विटर) पर कई यूजर्स ने शेयर करते हुए लिखा कि यह प्रदर्शन पेरिस में बुर्के से आजादी के लिए किया गया है।
एक यूजर ने लिखा: “पेरिस में कुर्द महिलाओं ने बुर्के से आजादी के लिए प्रदर्शन किया। भारत में भी ऐसा आंदोलन होना चाहिए।”
हालांकि, जब इस वीडियो की जांच की गई, तो सच्चाई कुछ और ही निकली।

क्या था असली प्रदर्शन?

जांच में पता चला कि यह वीडियो पेरिस में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के विरोध में आयोजित एक प्रदर्शन का था।

तारीख: यह प्रदर्शन 27 नवंबर 2024 को हुआ था।

नेतृत्व: प्रदर्शन का नेतृत्व विक्टोरिया गुगेनहाइम ने किया था।

मुख्य मुद्दा: यह प्रदर्शन महिलाओं के खिलाफ हर प्रकार की हिंसा के खिलाफ था, न कि बुर्के से आजादी के लिए।

प्रतीकात्मकता: प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अपने चेहरे पर ढके काले घूंघट उतार दिए, जो आजादी का प्रतीक था। उनके शरीर पर प्रतिरोध के नारे लिखे हुए थे।


सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे

फेमेन फ्रांस (Femen France) संगठन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन का मकसद महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने और उनकी आजाद सोच को समर्थन देना था।
वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ पोस्ट करना यह दिखाता है कि कैसे गलत सूचनाएं सोशल मीडिया पर फैलती हैं।

जांच का निष्कर्ष

यह प्रदर्शन महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में था, न कि बुर्के से आजादी के लिए।

सोशल मीडिया पर किए गए दावे झूठे और भ्रामक हैं।

यह घटना पेरिस में महिला अधिकारों और समानता के लिए आवाज उठाने का प्रतीक थी।


क्या सावधानी बरतें?

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो या तस्वीरों को शेयर करने से पहले उनकी सच्चाई जरूर जांचें।

केवल विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर भरोसा करें।

भ्रामक दावों को फैलाने से बचें।

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