मोदी सरकार ने ईसाई धर्म प्रचारक फ्रैंकलिन ग्राहम को वीज़ा देने से किया इनकार, धर्मांतरण गतिविधियों पर बढ़ी सख्ती

नई दिल्ली । भारत सरकार ने अमेरिका के प्रसिद्ध ईसाई धर्म प्रचारक फ्रैंकलिन ग्राहम को वीज़ा जारी करने से इनकार कर दिया है। यह फैसला धार्मिक गतिविधियों, खासकर धर्मांतरण के संदर्भ में बढ़ती संवेदनशीलता और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए लिया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। लंबे समय से भारत में सक्रिय उनकी संस्था Samaritan’s Purse पर कई बार धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं।
धर्मांतरण गतिविधियों और पुराने विवादों के कारण वीज़ा रद्द
मोदी सरकार द्वारा यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि फ्रैंकलिन ग्राहम के पिता बिली ग्राहम पर भारत सहित कई देशों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण अभियान चलाने के आरोप लग चुके हैं। नेहरू-गाँधी परिवार के साथ उनके पुराने संबंध और भारत में चर्च नेटवर्क के विस्तार में उनकी भूमिका के कारण वे लंबे समय से विवादों के केंद्र में रहे हैं।उनकी संस्था Samaritan’s Purse पर भारत में मानवीय सेवा के नाम पर धर्म-परिवर्तन को बढ़ावा देने के आरोपों पर कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत में धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इस तरह के प्रभावी प्रचारकों की एंट्री पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
भारत में धर्मांतरण पर बढ़ी निगरानी का संकेत
यह फैसला साफ दिखाता है कि केंद्र सरकार धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर चल रही गुप्त धर्मांतरण गतिविधियों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। कई राज्यों में एंटी-कन्वर्ज़न कानून पहले ही लागू हैं, और अब केंद्र भी विदेश से आने वाले धार्मिक प्रचारकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, फ्रैंकलिन ग्राहम को वीज़ा न देना इस बात का संकेत है कि भारत अपने सांस्कृतिक–धार्मिक ढांचे और आंतरिक सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
फ्रैंकलिन ग्राहम का वीज़ा रोके जाने का निर्णय केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि यह भारत में धर्मांतरण नेटवर्क पर बढ़ती सख्ती और विदेशी धार्मिक एजेंडों पर नियंत्रण का स्पष्ट संदेश है। सरकार का यह कदम आने वाले दिनों में देशभर में धर्मांतरण से जुड़े मामलों पर और भी प्रभाव डाल सकता है।



