
यमन में चल रहे लंबे गृहयुद्ध के बीच एक नया और गंभीर मोड़ सामने आया है। 🇸🇦 सऊदी अरब की वायुसेना ने यमन में कई स्थानों पर हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समर्थित सशस्त्र बलों को निशाना बनाया गया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हौथी-विरोधी खेमे के भीतर मतभेद और टकराव लगातार गहराते जा रहे हैं।
हवाई हमलों से बढ़ा क्षेत्रीय तनाव
सूत्रों के अनुसार, सऊदी वायुसेना द्वारा किए गए ये हमले यमन के दक्षिणी और रणनीतिक इलाकों में हुए हैं, जहां यूएई समर्थित मिलिशिया और सुरक्षा बलों की मौजूदगी बताई जाती है। इन हमलों के बाद क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता और बढ़ गई है। हालांकि, सऊदी अरब या यूएई की ओर से अब तक कोई आधिकारिक विस्तृत बयान जारी नहीं किया गया है।
हौथी-विरोधी गठबंधन में दरार
यमन युद्ध की शुरुआत में सऊदी अरब और यूएई एक ही मोर्चे पर खड़े नजर आते थे, लेकिन समय के साथ दोनों देशों के हितों में अंतर उभरकर सामने आया है। यूएई समर्थित दक्षिणी ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) और सऊदी समर्थित यमनी सरकार के बीच कई बार सशस्त्र झड़पें हो चुकी हैं। ताजा हवाई हमलों को इसी आंतरिक टकराव की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों पर असर
यमन पहले ही मानवीय संकट से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, करोड़ों लोग भोजन, दवा और बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान हैं। ऐसे में हौथी-विरोधी खेमे के भीतर बढ़ता संघर्ष आम नागरिकों की मुश्किलें और बढ़ा सकता है। हवाई हमलों से कई इलाकों में दहशत का माहौल है और विस्थापन का खतरा भी बढ़ गया है।
क्षेत्रीय राजनीति पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सऊदी अरब और यूएई के बीच मतभेद खुलकर सामने आते हैं, तो इसका असर पूरे मध्य पूर्व की राजनीति पर पड़ सकता है। इससे न केवल यमन में शांति प्रक्रिया कमजोर होगी, बल्कि ईरान, हौथी विद्रोहियों और अन्य क्षेत्रीय ताकतों को भी नई रणनीतिक बढ़त मिल सकती है।



