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मिनेसोटा में कोविड राहत घोटाले पर बड़ी कार्रवाई, अमेरिकी श्रम विभाग ने विशेष जांच टीम गठित की

अमेरिका: अमेरिका के श्रम विभाग (USDOL) ने मिनेसोटा में कोविड-19 महामारी के दौरान फर्जी बेरोजगारी भत्ते और महामारी राहत राशि की बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के मामलों की जांच तेज कर दी है। विभाग ने अरबों डॉलर की कथित हेराफेरी करने वाले संगठित नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करने की घोषणा की है। संघीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान अभी जारी है और आगे और भी आरोप तय किए जाएंगे।

क्या है पूरा मामला

संघीय जांच एजेंसियों के अनुसार, महामारी और लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद अमेरिकियों के लिए आवंटित बेरोजगारी भत्ता, खाद्य सहायता और राहत फंड को फर्जी दावों, नकली कंपनियों और झूठे दस्तावेजों के जरिए निकाल लिया गया। अब तक करीब 100 लोगों पर आरोप लगाए जा चुके हैं। जांच में सामने आया है कि राहत के पैसे का इस्तेमाल लक्ज़री कारों, निजी खर्चों और शेल कंपनियों में किया गया।

विशेष टीम का गठन

अमेरिकी श्रम विभाग ने “ईश्वर में आस्था, कानून व्यवस्था और अपने वतन पर गर्व” के सिद्धांतों के तहत एक विशेष जांच टीम बनाई है, जिसका उद्देश्य संघीय कार्यक्रमों में हुई धोखाधड़ी की परतें खोलना और दोषियों को सख्त सजा दिलाना है। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि संगठित अपराध के खिलाफ सुनियोजित कदम है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और जवाबदेही

शीर्ष संघीय अधिकारियों ने राज्य स्तर पर निगरानी और नेतृत्व की कमजोरियों की ओर भी इशारा किया है। उनका कहना है कि राज्य प्रशासन की ढिलाई के कारण यह घोटाला फैल सका। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से इन आरोपों पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

डेकेयर घोटाले का भी जिक्र

अधिकारियों ने यह भी याद दिलाया कि मिनेसोटा में पहले डेकेयर/खाद्य सहायता कार्यक्रम से जुड़े एक अन्य मामले में लगभग 250 मिलियन डॉलर की कथित हेराफेरी सामने आ चुकी है, जो इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है।

आगे क्या

जांच एजेंसियों का कहना है कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां व आरोप संभव हैं। संघीय सरकार ने करदाताओं के धन की सुरक्षा और दोषियों पर कठोर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

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