
दक्षिण-पूर्व एशिया में जारी थाईलैंड–कंबोडिया सीमा संघर्ष के बीच एक बड़ा सैन्य हादसा सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंबोडिया की सेना द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा चीनी मूल का MLRS (Multiple Launch Rocket System) अचानक विस्फोट के साथ फेल हो गया। इस दर्दनाक घटना में कम से कम 8 कंबोडियाई सैनिकों की मौत की सूचना है, जबकि कई अन्य के घायल होने की आशंका जताई जा रही है।
युद्ध क्षेत्र में तकनीकी विफलता के संकेत
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, यह हादसा लॉन्च के दौरान सिस्टम की तकनीकी खराबी के कारण हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि हाई-इंटेंसिटी कॉम्बैट ज़ोन में हथियार प्रणालियों की विश्वसनीयता और मेंटेनेंस बेहद अहम होती है। इस घटना ने एक बार फिर चीनी सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता और फेल-सेफ मैकेनिज़्म पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
गौरतलब है कि मई 2025 में “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भी चीनी सैन्य उपकरणों की विश्वसनीयता को लेकर आलोचना हुई थी। उस समय भी कुछ प्रणालियों में परफॉर्मेंस और सेफ्टी से जुड़ी खामियों की चर्चा सामने आई थी। ताज़ा हादसा उन चिंताओं को और मजबूती देता है।
रणनीतिक और कूटनीतिक असर
कंबोडिया की सैन्य तैयारी और हथियार चयन नीति पर आंतरिक समीक्षा की संभावना।आपूर्तिकर्ता देशों से आने वाले हथियारों के क्वालिटी ऑडिट और ट्रायल प्रोटोकॉल सख्त होने की उम्मीद। क्षेत्रीय स्तर पर डिफेंस सप्लाई चेन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर बहस तेज़ हो सकती है।
आगे क्या?
कंबोडियाई रक्षा प्रतिष्ठान द्वारा औपचारिक जांच के आदेश दिए जाने की संभावना है। साथ ही, यह घटना युद्धक्षेत्र में हथियार प्रणालियों की सुरक्षा, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत को रेखांकित करती है।
निष्कर्ष: थाईलैंड–कंबोडिया संघर्ष के बीच हुआ यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि युद्धकालीन तकनीकी विश्वसनीयता का गंभीर सवाल है—जिसके दूरगामी सैन्य और कूटनीतिक प्रभाव पड़ सकते हैं।





