
टोक्यो। जापान में चावल की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर चल रही चिंता के बीच एक मंत्री का विवादित बयान भारी पड़ गया। खाद्य सुरक्षा और महंगाई जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लापरवाही भरे मजाक ने देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया।
जापान के कृषि उपमंत्री ताकु ईटो ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, “मैं कभी चावल नहीं खरीदता, मुझे यह मुफ्त में मिलता है।” उनके इस बयान ने जनता की नाराज़गी को भड़का दिया, खासकर ऐसे समय में जब देश महंगाई की मार झेल रहा है और आम नागरिक खाद्य वस्तुओं की कीमतों से परेशान हैं।
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई और विपक्षी दलों ने ईटो के इस्तीफे की मांग की। बढ़ते दबाव के चलते ताकु ईटो को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का नहीं था।
जापान में चावल की कीमतें हाल के महीनों में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर असर पड़ा है। ऐसे में मंत्री द्वारा मुफ्त में चावल मिलने की बात कहने से आम जनता को यह संदेश गया कि सरकार महंगाई की गंभीरता को समझ नहीं रही।
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि नेताओं को महंगाई, चावल की कीमतों, और जनता की समस्याओं जैसे मुद्दों पर बेहद सावधानी से बयान देना चाहिए।





