बेरूत। सोमवार देर रात इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत के घनी आबादी वाले जौक अल-ब्लाट इलाके में हमला किया। इस क्षेत्र में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, कई दूतावासों और संयुक्त राष्ट्र कार्यालय जैसे प्रमुख संस्थान पास में स्थित हैं। लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस इलाके में दो मिसाइलें गिरीं, जिससे बड़े पैमाने पर क्षति हुई।
हमले का कारण और प्रतिक्रिया
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम वार्ता को स्थगित कर दिया गया है। हमले के तुरंत बाद, लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक बयान जारी कर कहा, “सभी देशों और अंतरराष्ट्रीय निर्णयकर्ताओं से अपेक्षा है कि वे लेबनान पर इजरायली हमलों को रोकें और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 को लागू करें।”
प्रस्ताव 1701 की अहमियत
2006 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 1701 को अपनाया था, जिसका उद्देश्य दक्षिणी लेबनान में एक बफर ज़ोन बनाना और इजरायल तथा हिजबुल्ला के बीच जारी संघर्ष को समाप्त करना था। लेकिन हालिया हमले इस प्रयास को कमजोर करते दिख रहे हैं।
लगातार दूसरे दिन हमला
मध्य बेरूत पर इजरायल का यह हमला लगातार दूसरे दिन हुआ। इससे पहले रविवार को रास अल-नबा इलाके में इजरायली हमले में हिजबुल्ला के मीडिया प्रवक्ता मोहम्मद अफीफ, एक महिला समेत छह लोगों की मौत हो गई थी।
स्थानीय हालात और हताहतों की स्थिति
हालांकि सोमवार के हमले में हताहतों की आधिकारिक संख्या अभी जारी नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय मीडिया के मुताबिक, सड़क पर कई लोग घायल और मृत पाए गए। हमले के बाद पूरे इलाके में एम्बुलेंस की सायरन गूंज रही थी।
इजरायल का रुख
इजरायल ने इन हमलों से पहले कोई चेतावनी जारी नहीं की थी, और न ही अब तक इस हमले के पीछे का उद्देश्य स्पष्ट किया गया है।
आंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इजरायली हमलों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमले केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाएंगे और लेबनान के मौजूदा राजनीतिक संकट को और गहरा करेंगे।
इजरायल ने बेरूत में घनी आबादी वाले क्षेत्र पर किया हमला, संसद भवन और दूतावासों के पास गिरी मिसाइलें
