पाकिस्तान में बड़ा सियासी तूफान! ISI ने प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों को मुख्यालय में किया तलब, नजरबंदी की अटकलें तेज

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में एक बार फिर से सियासी भूचाल के संकेत मिल रहे हैं। देश की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) ने प्रधानमंत्री समेत कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को अचानक अपने मुख्यालय में तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक ISI को आशंका है कि मौजूदा हालात के बीच यह नेता देश छोड़कर फरार हो सकते हैं, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और गहराने का खतरा है।

ISI को नेताओं के फरार होने का डर, नजरबंदी की संभावना
पर्दे के पीछे की खबर यह भी है कि ISI इन नेताओं को हिरासत में लेकर नजरबंद कर सकती है। हालांकि, आधिकारिक रूप से कहा जा सकता है कि उन्हें “सुरक्षा कारणों” से सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। मगर पाकिस्तान की जनता और विश्लेषकों के बीच यह कयास तेज हैं कि यह कदम संभावित तख्तापलट या राजनीतिक नियंत्रण का हिस्सा हो सकता है।

पाकिस्तान में अगले 24 घंटे बेहद अहम
देश की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य प्रमुख शहरों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। सेना और अर्द्धसैनिक बलों को अलर्ट पर रखा गया है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में अगले 24 घंटे काफी निर्णायक हो सकते हैं और कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आ सकता है।

क्या पाकिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप की भूमिका बन रही है?
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और जनता के आक्रोश के बीच सेना और ISI का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा सरकार को लेकर सेना और खुफिया एजेंसी में भरोसे की कमी है, और हालात किसी सीमित तख्तापलट (Soft Coup) की ओर बढ़ सकते हैं।

जनता को सुरक्षा का हवाला, असल में ‘नजरबंदी’?
सूत्रों का दावा है कि आने वाले समय में ISI यह घोषणा कर सकती है कि प्रधानमंत्री और मंत्रियों की “सुरक्षा के दृष्टिकोण से” उन्हें सीमित किया गया है, जबकि वास्तव में यह एक प्रकार की नजरबंदी हो सकती है।

निष्कर्ष: पाकिस्तान इस वक्त राजनीतिक संकट, ISI की दखलअंदाजी, और संभावित तख्तापलट जैसे गंभीर मोड़ों से गुजर रहा है। आने वाले 24 घंटे पाकिस्तान की राजनीति का रुख तय कर सकते हैं।

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