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दुबई में डॉ. बू अब्दुल्ला और महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज की सौहार्द्रपूर्ण भेंट, यूएई में सांस्कृतिक समरसता और धार्मिक सहिष्णुता पर हुआ संवाद

भारतीय संत और यूएई के प्रतिष्ठित उद्योगपति ने मिलकर दिया वैश्विक शांति, सह-अस्तित्व और करुणा का संदेश

दुबई। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की धरती एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक समरसता और धार्मिक सौहार्द का गवाह बनी, जब दुबई स्थित बू अब्दुल्ला इन्वेस्टमेंट ग्रुप के कार्यालय में प्रतिष्ठित उद्योगपति डॉ. बू अब्दुल्ला और पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज के बीच सौहार्द्रपूर्ण भेंट हुई।

यह महत्वपूर्ण सद्भावना बैठक यूएई में धार्मिक सहिष्णुता, सांस्कृतिक समन्वय और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने की दिशा में एक नई पहल मानी जा रही है। इस अवसर पर KMG ग्रुप के चेयरमैन वासुदेव गर्ग की गरिमामयी उपस्थिति ने मुलाकात को और भी विशेष बना दिया।

यूएई में अंतरधार्मिक संवाद और सांस्कृतिक सहयोग को लेकर साझा दृष्टिकोण

डॉ. बू अब्दुल्ला और स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज के बीच बातचीत में शांति, करुणा, विविधता में एकता और सांस्कृतिक सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक विमर्श हुआ। चर्चा में इस बात पर बल दिया गया कि यूएई जैसे विविधतापूर्ण देश में सांस्कृतिक संवाद और धार्मिक सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना समय की मांग है।

स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने कहा – “आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समावेशिता, आपसी सम्मान और सहिष्णुता ही मानवता की असली पहचान है। धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर हमें मानव कल्याण के लिए काम करना चाहिए।”

डॉ. बू अब्दुल्ला ने व्यक्त किया – “यूएई में विभिन्न देशों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं। ऐसे में अंतरधार्मिक सौहार्द और करुणा आधारित संवाद समाज को मजबूत करने का माध्यम बन सकते हैं।”

केएमजी ग्रुप के वासुदेव गर्ग की उपस्थिति बनी प्रेरणादायक

समारोह में KMG Group UAE के चेयरमैन वासुदेव गर्ग की उपस्थिति ने मुलाकात को एक सांस्कृतिक और व्यावसायिक सामंजस्य का प्रतीक बना दिया। उन्होंने कहा कि “भारत और यूएई के बीच सांस्कृतिक मैत्री और सामाजिक सद्भाव का यह रिश्ता आगे और सशक्त होना चाहिए।”

यूएई में विविधता में एकता का संदेश

यह मुलाकात न केवल एक सौजन्य भेंट, बल्कि यूएई में शांति और विविधता में एकता के वैश्विक संदेश की एक सशक्त प्रस्तुति थी। दोनों प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की सोच, समर्पण और दृष्टिकोण ने यह स्पष्ट किया कि भविष्य में भारत और यूएई मिलकर वैश्विक समरसता के अग्रदूत बन सकते हैं।

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