ईरान में हालिया दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों और जनसभाओं को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। वायरल पोस्टों में कहा जा रहा है कि लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और वे देश की ऐतिहासिक पहचान, सांस्कृतिक विरासत तथा धार्मिक इतिहास पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अलग-अलग स्रोतों से भिन्न-भिन्न रूप में सामने आ रही है।
ईरान में भीड़ जुटने के दावे
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किए जा रहे वीडियो और संदेशों में यह दावा किया जा रहा है कि ईरान के कई शहरों में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हैं। पोस्टों के अनुसार प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग यह मानता है कि ईरान के प्राचीन इतिहास और संस्कृति को लंबे समय से दबाया गया है। कुछ दावों में यह भी कहा जा रहा है कि लोग अपने पूर्वजों की परंपराओं और पहचान को फिर से समझने की कोशिश कर रहे हैं।
धर्म और इतिहास को लेकर बहस
वायरल दावों में ईरान के प्राचीन धर्म ज़ोरास्ट्रियन या अग्नि उपासना परंपरा का उल्लेख किया जा रहा है। इन पोस्टों के मुताबिक कुछ लोग इस ऐतिहासिक परंपरा को फिर से स्थापित करने की बात कर रहे हैं। इतिहासकारों के अनुसार ईरान में इस्लाम से पहले ज़ोरास्ट्रियन धर्म का व्यापक प्रभाव था, और आज भी यह ईरान के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हालांकि, विशेषज्ञ यह भी स्पष्ट करते हैं कि आधुनिक ईरान एक बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाज है, जहां विभिन्न विचारधाराओं और मान्यताओं के लोग रहते हैं।
आधिकारिक स्थिति और तथ्य जांच
ईरानी सरकार या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओर से अभी तक ऐसे किसी आधिकारिक बयान की पुष्टि नहीं हुई है, जिसमें करोड़ों या लाखों की संख्या में किसी एक उद्देश्य को लेकर प्रदर्शन की बात कही गई हो। मीडिया विश्लेषकों का कहना है कि वायरल सामग्री को बिना पुष्टि साझा करने से गलतफहमी फैल सकती है।
ईरान में विरोध प्रदर्शन को लेकर सोशल मीडिया पर दावे, ऐतिहासिक पहचान और धर्म को लेकर बहस तेज
