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बड़ी खबर | भारत–अमेरिका व्यापार वार्ता में भारत का स्पष्ट और सख्त रुख

नई दिल्ली । भारत ने अमेरिका के सामने अपना अंतिम व्यापार प्रस्ताव रख दिया है और साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय हितों, खासकर किसानों के हितों पर कोई समझौता नहीं होगा। बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच भारत का संदेश स्पष्ट है, व्यापार होगा, लेकिन शर्तों पर।

भारत की प्रमुख शर्तें

कुल 50% टैरिफ घटाकर 15% करने की मांग
भारत चाहता है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों पर लगाया गया ऊंचा टैरिफ घटे, ताकि निर्यात प्रतिस्पर्धी बन सके।

रूसी कच्चे तेल पर लगाए गए अतिरिक्त 25% जुर्माने को खत्म किया जाए,। भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी नीतियों पर किसी भी तरह का दंड स्वीकार्य नहीं है। कृषि और डेयरी उत्पाद पूरी तरह बाहर भारत ने दो टूक कहा है कि कृषि और डेयरी सेक्टर को किसी भी व्यापार समझौते में शामिल नहीं किया जाएगा।


किसानों के हित सर्वोपरि

सरकार ने दोहराया कि घरेलू किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। कृषि और डेयरी भारत की आजिविका, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ऐसे में सस्ते आयात से किसानों को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी प्रावधान मंजूर नहीं।

दबाव के आगे नहीं झुका भारत

सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका की ओर से दबाव के बावजूद भारत अपने स्टैंड पर अडिग है। नई दिल्ली का मानना है कि संतुलित और निष्पक्ष व्यापार ही दीर्घकालिक साझेदारी की बुनियाद हो सकता है, न कि एकतरफा शर्तें।

आगे क्या?

वार्ता के अगले दौर में टैरिफ राहत और ऊर्जा जुर्माने पर फोकस रहने की संभावना
कृषि–डेयरी को बाहर रखने पर भारत का नो-नेगोशिएशन ज़ोन बरकरार
दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के बावजूद व्यापार में स्पष्ट रेड लाइन्स


निष्कर्ष: भारत ने दुनिया को साफ संदेश दिया है, व्यापार साझेदारी स्वागत योग्य है, लेकिन किसानों की कीमत पर नहीं। यह रुख न सिर्फ आर्थिक, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी भारत की प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

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