
अमेरिका और वेनेजुएला के बीच लंबे समय से जारी राजनीतिक और आर्थिक टकराव में एक नया मोड़ सामने आया है। अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो से जुड़े एक जहाज को जब्त करने की कार्रवाई की है। अमेरिकी युद्ध विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस) ने इस कार्रवाई का फुटेज जारी करते हुए इसे प्रतिबंधों से बचने, अवैध तेल व्यापार और अमेरिका के विरोधी देशों से नजदीकी संबंध रखने वाले शासन के खिलाफ सख्त कदम बताया है।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत मादुरो सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल की कथित तस्करी और काले बाज़ार में सौदेबाज़ी को रोका जा सके। वाशिंगटन का आरोप है कि वेनेजुएला की सरकार वर्षों से भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी और मानवाधिकार उल्लंघनों में लिप्त रही है, जिसके चलते उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
मादुरो सरकार पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जहाज जब्ती केवल एक अलग घटना नहीं, बल्कि अमेरिका और मादुरो शासन के बीच चल रहे बड़े भू-राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा है। अमेरिका का कहना है कि वेनेजुएला में सेंसरशिप, विवादित चुनाव प्रक्रियाएं और ईरान, रूस व चीन जैसे देशों से रणनीतिक सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।
लैटिन अमेरिका में बदलती राजनीतिक तस्वीर
इस घटनाक्रम को लैटिन अमेरिका में बदलते राजनीतिक रुझानों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में अर्जेंटीना में दक्षिणपंथी रुझान मजबूत हुए हैं, अल साल्वाडोर ने सख्त आंतरिक नीतियां अपनाई हैं, जबकि ब्राज़ील में राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराया है। विश्लेषकों का कहना है कि क्षेत्र में पारंपरिक समाजवादी मॉडल पर सवाल उठ रहे हैं और कई देश अपनी नई भू-राजनीतिक दिशा तय कर रहे हैं।
आगे क्या?
अमेरिका की इस कार्रवाई को मादुरो सरकार के लिए एक कड़ी चेतावनी माना जा रहा है। सवाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव, आर्थिक संकट और आंतरिक असंतोष के बीच मादुरो सरकार कितने समय तक सत्ता संभाल पाएगी। फिलहाल, यह जहाज जब्ती अमेरिका–वेनेजुएला संबंधों में तनाव को और बढ़ाने वाली घटना के रूप में देखी जा रही है।
स्रोत: Breaking911



