
अमेरिकी नागरिक जेक लैंग को कथित रूप से आठ मुस्लिम बहुल देशों में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन देशों ने यह कदम उसकी पूर्व गतिविधियों और सार्वजनिक बयानों को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा मानते हुए उठाया है।
प्रतिबंध की खबर सामने आने के बाद जेक लैंग ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह कुरान को जलाकर उस के ऊपर सूअर का मांस कहते हुए पकते हुए दिखाया गया गया है । जिससे कुरान का अपमान करता हुआ दिखाई दिया। इसके साथ ही उसने जानबूझकर उकसावे की मंशा से एक और आपत्तिजनक गतिविधि को अंजाम दिया, जिसे कई धार्मिक संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने घोर निंदनीय बताया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया
जेक लैंग की इस हरकत के बाद कई देशों में कड़े विरोध प्रदर्शन हुए। इस्लामी संगठनों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे धार्मिक घृणा फैलाने वाला कृत्य, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में उकसावा, अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा
करार दिया है।
कानूनी और कूटनीतिक पहलू
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा पवित्र ग्रंथों का अपमान करना कई देशों में कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। यही कारण है कि संबंधित मुस्लिम देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक शांति के मद्देनज़र उसके प्रवेश पर रोक लगाई।
सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल
यह घटना एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा करती है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे कंटेंट पर पर्याप्त निगरानी रखते हैं? धार्मिक घृणा फैलाने वाले व्यक्तियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या ठोस कार्रवाई होनी चाहिए?
निष्कर्ष
विश्लेषकों के अनुसार, जेक लैंग की गतिविधियाँ जानबूझकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने की श्रेणी में आती हैं। ऐसी घटनाएँ न केवल समुदायों के बीच तनाव बढ़ाती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की अवधारणा को भी नुकसान पहुँचाती हैं।





