इस्लाम में हलाला एक ऐसी प्रथा है, जो अक्सर विवादों में घिरी रहती है। यह प्रक्रिया उस स्थिति में अपनाई जाती है जब किसी मुस्लिम महिला को उसके पति द्वारा तीन तलाक दे दिया जाता है। यदि दोनों फिर से साथ रहना चाहें, तो महिला को पहले किसी दूसरे पुरुष से निकाह कर, उसके साथ यौन संबंध बनाकर तलाक लेना होता है। इसके बाद ही वह अपने पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है।
क्या है हलाला प्रथा?
इस्लामी शरिया कानून की व्याख्या के अनुसार, हलाला एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे वैवाहिक पुनर्स्थापन की शर्त के रूप में देखा जाता है। कई बार यह प्रथा विवादास्पद रूप ले लेती है जब इसे जानबूझकर योजना बनाकर किया जाता है, जिसे ‘निकाह-ए-हलाला’ कहा जाता है।
मानवाधिकार संगठनों और महिला कार्यकर्ताओं का विरोध
कई मुस्लिम महिला अधिकार समूहों और मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रथा को महिला विरोधी बताते हुए इसकी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह परंपरा महिलाओं को वस्तु की तरह पेश करती है और उनके सम्मान और स्वायत्तता पर आघात करती है।
विवाद का सामाजिक पहलू
सोशल मीडिया पर अक्सर यह बहस उठती है कि जिन समुदायों में पश्चिमी महिलाओं के पहनावे और जीवनशैली की आलोचना की जाती है, वहां कुछ परंपराएं महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचा सकती हैं। हलाला जैसी परंपराएं अंतरविरोध पैदा करती हैं और समाज में महिला सशक्तिकरण की राह में बाधा बनती हैं।
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