भोपाल। अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण वर्मा ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह शासकीय विभागों में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए अपनाई जा रही आउटसोर्सिंग और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति की प्रथा को तत्काल समाप्त करे। उन्होंने इसे आरक्षण व्यवस्था के प्रभावी क्रियान्वयन और युवाओं को रोजगार देने में सबसे बड़ी बाधा बताया।
अरुण वर्मा का आरोप: भाई-भतीजावाद और निजी एजेंसियों की मनमानी
अरुण वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य के निगम, मंडल, परिषद, अकादमियों सहित सभी शासकीय विभागों में अधिकांश पद रिक्त हैं। सरकार की ओर से आउटसोर्सिंग और पुनर्नियुक्ति के माध्यम से पद भरने के कारण न केवल योग्य अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिल रहा, बल्कि आरक्षण रोस्टर की भी अनदेखी हो रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कई निजी आउटसोर्सिंग एजेंसियां भाई-भतीजावाद और अफसरशाही से प्रभावित होकर अपनी मर्जी से कर्मचारियों की नियुक्ति कर रही हैं। ये एजेंसियां कभी-कभी एक-दो कर्मचारियों को सेवा में दिखाकर अधिक मानदेय की वसूली कर रही हैं। खासतौर पर स्वास्थ्यकर्मी, कंप्यूटर ऑपरेटर, वाहन चालक, सफाई कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड जैसे पदों पर यह गड़बड़ियां ज्यादा हो रही हैं।
कम वेतन, ज्यादा काम – युवाओं के साथ अन्याय
उन्होंने यह भी कहा कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी न केवल कम मानदेय में काम करने को मजबूर हैं, बल्कि उनसे 8 घंटे से अधिक काम भी लिया जा रहा है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में उनके नाम पर तय मानदेय की पूरी राशि एजेंसी प्राप्त कर रही है।
मुख्यमंत्री से सीधी मांग: बंद हो पुनर्नियुक्ति और आउटसोर्सिंग प्रथा
अरुण वर्मा ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि शासकीय विभागों में सभी रिक्त पदों पर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए निर्धारित आरक्षण रोस्टर के अनुसार नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। इससे न केवल आरक्षण का वास्तविक लाभ मिलेगा, बल्कि बेरोजगारी दर में भी गिरावट आएगी।