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मध्यप्रदेश मेट्रो परियोजना घोटालों में उलझी: जनता इंतजार में, सरकार भ्रष्टाचार में व्यस्त, मुकेश नायक का बड़ा आरोप

भोपाल/इंदौर, । मध्यप्रदेश की बहुप्रतीक्षित मेट्रो रेल परियोजना आज जनता के लिए उम्मीद की बजाय निराशा का कारण बन चुकी है। जहां एक ओर भोपाल मेट्रो और इंदौर मेट्रो को लेकर लोग वर्षों से इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार पर इन परियोजनाओं में भ्रष्टाचार, घोटाले, और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लग रहे हैं। कांग्रेस नेता डॉ. मुकेश नायक ने कहा कि भाजपा सरकार का पूरा ध्यान विकास से ज्यादा घोटालों के खेल पर केंद्रित है।

कमलनाथ सरकार का सपना, भाजपा की देरी और घोटाले

सितंबर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल मेट्रो (भोज मेट्रो) और इंदौर मेट्रो परियोजना का शिलान्यास किया था। योजना के अनुसार भोपाल में दिसंबर 2022 और इंदौर में अगस्त 2023 से मेट्रो रेल सेवा शुरू होनी थी। लेकिन अप्रैल 2025 तक भी केवल ट्रायल रन ही हो पाया है, वह भी सीमित हिस्से में।

इंदौर मेट्रो का पहला चरण 31.54 किलोमीटर लंबा है, जिसमें 29 स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें 24.06 किमी एलिवेटेड और 7.48 किमी अंडरग्राउंड हिस्सा शामिल है। लेकिन बार-बार रूट परिवर्तन, निर्माण में अनावश्यक देरी, और भ्रष्टाचार के कारण जनता को अभी तक कोई लाभ नहीं मिल पाया है।

इंदौर मेट्रो में करोड़ों के घोटाले उजागर

मध्यप्रदेश की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में लगातार घोटालों की खबरें सामने आ रही हैं। केवल प्राथमिकता वाले गलियारे के निर्माण में ही लगभग 110 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है।

ठेकेदारों ने अनुबंध की शर्तों को दरकिनार करते हुए अतिरिक्त बिल पेश किए, जिनमें मलबा हटाने, गड्ढे भरने, और चट्टानों को तोड़ने जैसे सामान्य कार्य भी शामिल थे। इन कार्यों के लिए संदिग्ध भुगतान किए गए, जिन पर तत्कालीन मुख्य लागत नियंत्रक एम. वेंकटेश ने आपत्ति भी दर्ज की थी। बावजूद इसके, अधिकारियों ने बिल पास कर दिए और 17 करोड़ रुपये अतिरिक्त भुगतान का खुलासा हुआ।

इतना ही नहीं, इंदौर मेट्रो स्टेशन के शेड निर्माण में भी 5 करोड़ का घोटाला सामने आया है। स्टैंडिंग सीम रूफिंग शीट की जगह सामान्य और सस्ती शीट्स लगाकर जनता के पैसों की खुली लूट की गई। जबकि टेंडर में स्पष्ट प्रावधान था कि 140 किमी/घंटा तक हवा सहन करने वाली शीट्स लगनी थीं।

रूट परिवर्तन और निर्णयहीनता से जनता परेशान

इंदौर मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट को लेकर सरकार की अनिर्णयता जनता के लिए बड़ी परेशानी बन गई है। 300 दिन बीत जाने के बाद भी तय नहीं हो सका है कि मेट्रो बंगाली चौराहे से रीगल तिराहा के बीच किस मार्ग से गुजरेगी।

एमजी रोड, जो शहर का सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्ग है, वहां मेट्रो रूट को लेकर व्यापारी संगठन बार-बार आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं। पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन तक ने इस विसंगति को उजागर किया, लेकिन सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।

रूट परिवर्तन के कारण 1600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत का बोझ अब जनता पर डाला जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने कार्यकाल में DPR बदलकर पहले से तय योजनाओं को पटरी से उतारा था। बार-बार डीपीआर बनाने में करोड़ों खर्च कर दिए गए, लेकिन जनता को मेट्रो का लाभ नहीं मिला।

बुनियादी सुविधाओं की भी अनदेखी

इंदौर मेट्रो के पहले चरण में जिन 16 स्टेशनों पर काम हो चुका है, वहां पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई है। शहीद पार्क, विजय नगर, मेघदूत गार्डन, भौंरासला, आईएसबीटी, और अन्य प्रमुख स्टेशनों पर कोई पार्किंग स्पेस नहीं छोड़ा गया।

दिल्ली मेट्रो जैसे सफल उदाहरणों में 80% स्टेशनों के पास पार्किंग उपलब्ध है, जबकि इंदौर जैसे उभरते शहर में यह बुनियादी सुविधा भी नहीं दी जा रही। यह दर्शाता है कि मेट्रो प्लानिंग में गंभीर खामियां हैं।

जापान की सहायता गंवाने का आरोप

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने इंदौर और भोपाल मेट्रो के लिए वित्तीय सहायता देने की इच्छा जताई थी। लेकिन भाजपा सरकार की 50% कमीशन डील फेल होने के कारण यह प्रस्ताव ठुकरा दिया गया। अगर उस समय यह डील होती, तो आज मध्यप्रदेश में मेट्रो ट्रेन दौड़ रही होती, न कि घोटालों की खबरें।

कांग्रेस की मांगें: जवाबदेही तय हो

कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:

1. 110 करोड़ और 5 करोड़ रुपये के घोटालों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए।

2. दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

3. मेट्रो रूट और लागत को लेकर जनता के समक्ष पारदर्शिता लाई जाए।

4. हर स्टेशन पर पार्किंग और मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।

5. परियोजना की प्रगति का हर महीने सार्वजनिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए।

जनता के टैक्स का पैसा बर्बाद

मध्यप्रदेश मेट्रो परियोजना को लेकर जनता में गुस्सा और निराशा दोनों है। जहां एक ओर लोग आवागमन की आधुनिक सुविधा का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर करोड़ों का टैक्सपेयर्स मनी सिर्फ घोटालों और देरी की भेंट चढ़ रहा है।

कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी, और जनता के हक की लड़ाई जारी रखेगी।

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