नर्सिंग घोटाले पर NSUI का बड़ा कदम: हाईकोर्ट में पेश होंगे साक्ष्य, रवि परमार बोले – “दोषियों को मिल रहा राजनीतिक संरक्षण”

भोपाल, ।  मध्यप्रदेश में सामने आए विस्तृत नर्सिंग कॉलेज घोटाले को लेकर नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने सरकार और संबंधित विभागों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि घोटाले में संलिप्त 99% दोषी अब भी राजनीतिक संरक्षण और विभागीय उदासीनता के कारण कार्रवाई से बचे हुए हैं।

हाईकोर्ट के निर्देशों की उड़ रही धज्जियाँ

रवि परमार ने स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा बार-बार दिए जा रहे सख्त निर्देशों के बावजूद, राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। “जाँच की धीमी गति और दोषियों की पदोन्नति इस बात का प्रमाण है कि सरकार घोटाले की लीपापोती कर रही है,” – परमार ने कहा।

फर्जी मान्यता और जिम्मेदारियों का खेल

परमार ने आरोप लगाया कि गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल की मीनू नायर और राखी पटेल जैसी अधिकारी, जिन पर फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने का आरोप है, उन्हें नर्सिंग काउंसिल में पुनः नियुक्त कर परीक्षा और मान्यता जैसे कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह, डॉ. जितेन्द्र महावर, डॉ. हरिसिंह मकवाना, डॉ. संदीप मर्सकोले, डॉ. वीरेंद्र धुर्वे, एवं नर्सिंग स्टाफ रजनी नायर, प्रियदर्शिनी डेहरिया, दीपिका कुंभारे और राजश्री मालवीय के विरुद्ध भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

जबलपुर और अन्य संस्थानों पर भी सवाल

जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य स्टेला पीटर, ईस्टर शीबा एंड्रयूज और आरती तिवारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी होने के बावजूद उन्हें पद से नहीं हटाया गया है। रवि परमार ने यह भी उजागर किया कि पूर्व अधिकारी प्रतिभा सिंह ठाकुर ने अवैध रूप से कई फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी थी, जिसकी शिकायत 4 अप्रैल 2025 को आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा को की गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

लोक स्वास्थ्य विभाग पर संरक्षण का आरोप

रवि परमार ने यह भी कहा कि लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, भोपाल की मिलीभगत और संरक्षण से घोटालेबाज अधिकारियों को प्रयोगात्मक परीक्षाओं की जिम्मेदारी तक सौंप दी गई। इस मामले में मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को शिकायतें भेजी जा चुकी हैं।

NSUI की मांगें: हाईकोर्ट में दस्तावेजों के साथ पुनः पेश होंगी याचिकाएं

रवि परमार ने घोषणा की कि NSUI:

1. दोषियों के विरुद्ध तत्काल सख्त कार्यवाही की माँग करेगी।


2. जिन अधिकारियों ने दोषियों को संरक्षण दिया और पुनः नियुक्त किया, उन पर कठोर कार्रवाई की मांग करेगी।


3. न्यायिक निगरानी में निष्पक्ष जांच कराए जाने की माँग करेगी।


4. नर्सिंग काउंसिल द्वारा लिए गए समस्त निर्णयों की उच्च स्तरीय समिति से जांच की मांग करेगी।


विश्लेषण:

यह मामला न केवल शैक्षणिक प्रणाली की साख पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि प्रशासनिक निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे गंभीर विषयों की ओर भी संकेत करता है। यदि हाईकोर्ट द्वारा निगरानी में जांच होती है, तो यह नर्सिंग शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।

Exit mobile version