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कासगंज गैंगरेप केस में नया मोड़: एक महीने में ही मुख्य आरोपी को जमानत, न्याय व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

कासगंज, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में नाबालिग लड़की के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म (Gangrape) मामले ने अब एक चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। महज एक महीने पहले पिकनिक मनाने गई किशोरी को 10 आरोपियों ने जबरन अगवा कर, सुनसान जगह पर गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था। इस वीभत्स अपराध के वक्त पीड़िता का मंगेतर भी साथ था, जिसे विरोध करने पर बेरहमी से पीटा गया।

अब हैरानी की बात यह है कि इस सनसनीखेज कासगंज गैंगरेप केस में गिरफ्तार मुख्य पांच आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जिनमें एक स्थानीय बीजेपी नेता अखिलेश प्रताप सिंह उर्फ एपीएस उर्फ गब्बर भी शामिल है।

तेज़ जमानत पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रिया और पुलिस जांच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सवाल है:

क्या प्रभावशाली लोगों के दबाव में केस कमजोर किया गया?

क्या जांच एजेंसियों ने जानबूझकर लापरवाही दिखाई?

क्या पीड़िता को अब न्याय मिलेगा या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?


बीजेपी नेता पर लगे गंभीर आरोप
स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली माने जाने वाले भाजपा नेता अखिलेश प्रताप सिंह का नाम इस जघन्य वारदात में सामने आना पहले से ही विवादों को जन्म दे चुका था। अब जमानत मिलना एक और झटका है, जिससे जनता का भरोसा न्याय प्रणाली और पुलिस पर कमजोर होता दिख रहा है।

समाज में फैला आक्रोश
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर “#KasganjGangrapeCase, #JusticeForMinorVictim, #UPLawAndOrder” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों, महिला सुरक्षा मंचों और आम नागरिकों ने इस जमानत को लेकर तीव्र नाराजगी जताई है।

भारत समाचार इस संवेदनशील और अत्यंत गंभीर मामले पर लगातार नज़र बनाए हुए है और सवाल करता है —
क्या कमजोरों को न्याय मिल पाएगा जब रसूखदार आरोपी जेल से बाहर घूम रहे हैं?

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