भोपाल में एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक रही शराब, आबकारी आयुक्त ने दिए सख्त निर्देश – 10 दिन का विशेष निरीक्षण अभियान शुरू

प्रदेश की समस्त मदिरा दुकानों पर MSP-MRP उल्लंघन पाए जाने पर होगी त्वरित कार्रवाई
भोपाल। राजधानी से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है कि भोपाल की शराब दुकानों पर MRP से अधिक मूल्य पर शराब बेचे जाने की खबरों को लेकर आबकारी आयुक्त श्री अभिजीत अग्रवाल ने सख्त संज्ञान लिया है। उन्होंने पूरे मध्यप्रदेश में विशेष निरीक्षण अभियान चलाने के निर्देश जारी किए हैं। यह अभियान 10 दिनों तक लगातार चलेगा और इसमें MSP (न्यूनतम विक्रय मूल्य) एवं MRP (अधिकतम विक्रय मूल्य) का उल्लंघन पाए जाने पर मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) दिनांक 14 फरवरी, 2025 की धारा 22.2 के अंतर्गत त्वरित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
भोपाल में चल रही अनियमितताओं पर उठे सवाल, आबकारी वाई-फाई नेटवर्क भी फेल
बताया जा रहा है कि राजधानी भोपाल में आबकारी विभाग की निगरानी व्यवस्था कमजोर है। वाई-फाई नेटवर्क राजधानी के बाहर ही सक्रिय है, जिससे भोपाल के शराब दुकानों पर हो रही अनियमितताएं लंबे समय से नजरअंदाज की जाती रहीं। यही कारण है कि अवैध अहाते और शराब की अधिक कीमत वसूली के मामलों की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं।
शराब दुकानों पर मूल्य सूची सार्वजनिक करना अनिवार्य
आबकारी आयुक्त ने यह भी निर्देश दिए हैं कि प्रचलित और लोकप्रिय शराब ब्रांड्स की मूल्य सूची सभी शराब दुकानों पर सार्वजनिक रूप से प्रमुख स्थानों पर चस्पा की जाए ताकि ग्राहक को स्पष्ट जानकारी हो कि वह शराब MSP-MRP के दायरे में खरीद रहा है या नहीं।
भोपाल में ठप पड़ी निगरानी: सवालों के घेरे में आबकारी अफसर
भोपाल में सहायक आबकारी आयुक्त वीरेंद्र धाकड़ के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से शहर में अवैध शराब कारोबार और MRP उल्लंघन की शिकायतें बढ़ी हैं। स्थानीय नागरिक और सामाजिक संगठन यह सवाल उठा रहे हैं कि, “जब मीडिया इन गड़बड़ियों की आवाज उठाता है तो उस पर यह आरोप क्यों लगाया जाता है कि पत्रकार शराब मांगते हैं?”
यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि पत्रकारों द्वारा उजागर की गई गड़बड़ियों को दबाने के लिए प्रशासन द्वारा बहाने बनाए जाते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि पत्रकारिता की असली ताकत उसकी कलम होती है।
ठेकेदारों पर चरणबंदनों की संस्कृति और शराब माफियाओं की पकड़ पर चिंता
राजधानी भोपाल में शराब ठेकेदारों और आबकारी अधिकारियों के बीच सांठगांठ की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि, “जब ठेकेदारों के समक्ष नियमों की अनदेखी की जाती है, तब जिम्मेदारी कौन लेता है?”
माना जा रहा है कि आबकारी विभाग को अब शराब माफियाओं पर लगाम कसने के लिए न सिर्फ जांच तेज करनी होगी बल्कि प्रत्येक कार्रवाई को सार्वजनिक भी करना होगा।
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आबकारी विभाग को निर्देश:
सभी शराब दुकानों पर MSP और MRP सूची सार्वजनिक रूप से लगाई जाए।
10 दिनों का विशेष निरीक्षण अभियान चलाकर प्रदेश की अधिकतम दुकानों का सत्यापन किया जाए।
MRP से अधिक मूल्य पर बिक्री पाए जाने पर राजपत्रीय धारा 22.2 के अंतर्गत तत्काल कार्रवाई की जाए।
अभियान के बाद समेकित कार्यवाही रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाए।