किराएदारी अधिनियम लागू करेगी सरकार, विवादों के लिए जिले स्तर पर न्यायालय बनेगा

डिप्टी कलेक्टर स्तर का अधिकारी करेगा सुनवाई, दो माह के अन्दर होगा निपटारा

भोपाल। प्रदेश  सरकार के द्वारा किरायेदारी अधिनियम लागू करने जा रही है। जिसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रारूप तैयार कर लिया है। जिसका बिल मानसूत्र सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत कोई भी मकान मालिक बिना अनुबंध के किरायेदार नहीं रख सकेगा। किरायेदारी संबधित विवादों के लिए अलग से न्यायालय में डिप्टी कलेक्टर स्तर का अधिकारी सुनवाई करेगा।

मध्यप्रदेश सरकार ने किरायेदारी को लेकर सख्त कदम उठाने जा रही है जिसके चलते पूर्व से लागू नियम को सख्ती से पालन कराने के मकान मालिक की बाध्यता सुनिश्चित करने जा रही है। इस अधिनियम को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने तैयार किया है। हर जिले में किराया अधिकरण होगा जिसके लिए डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को किराया प्राधिकारी बनाया जाएगा और  किराये के विवादों के लिए न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर की कोर्ट होगी किरायेदारी से संबंधित शिकायत का निराकरण 60 दिनों के अंदर करना अनिवार्य होगा।


मकान मालिक बीच में नहीं करा सकेगा खाली
अभी तक यह होता रहा है कि बिना अनुबंध के किरायेदार को मकान मालिक के द्वारा कुछ दिनों बाद ही खाली करने का दबाव दिया जाता रहा है जिससे किरायेदार को सामान को बार बार ढोने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे कई बार विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अगर अनुबंद होगा तो यह समस्या दूर हो जाएगी और यह अधिनियम किरायेदार के हित में भी होगा।

कब्जा करने से मिलेगी राहत
प्रदेश में अधिकतर बिना अनुबंध के किरायेदार रखने से मकान मालिक  को वैसे तो कई परेशानियों का सामना कारना पड़ता है लेकिन सबसे बढ़ी समस्या मकान पर कब्जा करने की आती है। जब मकान खाली कराने की बात आती है तो कुछ दबंग या ऊंची पहूंच के चलते कब्ता कर लेते है जिससे विवाद भी होता है और मकान मालिक को पुलिस और न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। नये अधिनियम के लागू होने से इस तरह के विवादों से मकान मालिक को राहत मिलेगी।

जिससे भविष्य में किराएदार के द्वारा मकान पर कब्जे की शिकायतें दूर की जा सके। वहीं दूसरा उद्देश्य अपराधों पर भी लगाम लगाई जा सके। भोपाल सहित प्रदेश की न्यायालयं किरायेदार द्वारा मकान पर कब्जे नहीं कर पाएगा साथ ही मकान मालिक को भी अपने अधिकार के लिए विवादं और न्यायालय की परेशानियेां से बचाया जा सके। प्रदेश सरकार की यह पहल दोनो के लिए लाभकारी होगा ।

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