भोपाल-इंदौर में होना चाहिए जबलपुर और भिंड कलेक्टर की तैनाती, शिक्षा माफिया पर कसी नकेल से मचा हड़कंप

नई दिल्ली । मध्यप्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करने वाले जबलपुर और भिंड कलेक्टर की कार्यशैली आज प्रदेशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। आमजन और सामाजिक संगठनों की ओर से यह मांग उठ रही है कि इन दोनों बहादुर अफसरों को भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों का कलेक्टर नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि वहां भी शिक्षा माफिया पर सख्त कार्रवाई हो सके।

भिंड कलेक्टर ने तय किए निजी स्कूलों के रेट, जबलपुर में भी शिक्षा माफिया पर चला बुलडोजर

जहां एक ओर भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में अभिभावकों को प्राइमरी कोर्स की किताबें और स्टेशनरी हजारों रुपये खर्च कर बंधी दुकानों से खरीदनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर भिंड में प्रशासन ने साहसिक निर्णय लेते हुए निजी स्कूलों की फीस और किताबों के रेट तय कर दिए हैं। यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत पहुंचाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

जबकि जबलपुर कलेक्टर ने भी शिक्षा माफिया के खिलाफ अभियान चलाकर मनमानी वसूली और गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दोनों जिलों के कलेक्टरों ने जिस साहस, निर्णय क्षमता और प्रशासनिक कुशलता का प्रदर्शन किया है, वह आज बड़े शहरों के लिए भी एक आदर्श बन चुका है।

भोपाल और इंदौर में शिक्षा व्यवस्था चरमराई, जरूरत है सख्त अफसरों की

भोपाल और इंदौर में वर्तमान में शिक्षा माफिया का जाल फैला हुआ है। निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे हैं और किताबें–यूनिफॉर्म भी अधिक दामों पर निर्धारित दुकानों से खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में, जबलपुर और भिंड जैसे जिलों में तैनात अफसरों की तर्ज पर अगर भोपाल और इंदौर में भी सख्त कलेक्टरों की तैनाती हो, तो शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है।

निष्कर्ष:

मध्यप्रदेश के शिक्षा तंत्र में सुधार के लिए जबलपुर और भिंड कलेक्टरों की कार्यप्रणाली को पूरे राज्य में लागू करने की जरूरत है। भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में अगर इन्हीं जैसे ईमानदार और सख्त प्रशासकों को जिम्मेदारी दी जाए, तो शिक्षा माफिया पर लगाम लगाना संभव है और छात्रों व अभिभावकों को वास्तविक राहत मिल सकती है।

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