मुंबई । दुनिया भर में एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का सबसे सफल मॉडल निजी निवेश के माध्यम से विकसित हुआ है। यूरोप, अमेरिका और एशिया में यही मॉडल अपनाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अत्याधुनिक सुविधाएँ और बेहतर सेवाएँ संभव हो सकी हैं। इसी दिशा में भारत भी अब तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। सरकार 11 और एयरपोर्ट्स को निजी हाथों में देने की तैयारी में है, जिससे देश के एविएशन सेक्टर में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
दुनिया का सफल मॉडल: निजी कंपनियों ने बदली एयरपोर्ट्स की तस्वीर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एयरपोर्ट विकास का सफल अनुभव बताता है कि निजी कंपनियों के प्रबंधन से यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ, आधुनिक टर्मिनल, तेज़ सुरक्षा जांच और उच्चस्तरीय कनेक्टिविटी मिलती है। यूरोप के हीथ्रो, अमेरिका के LAX और एशिया के सिंगापुर चांगी जैसे एयरपोर्ट इसी मॉडल पर चमके हैं।
भारत में 11 नए एयरपोर्ट निजी हाथों में, बड़े बदलाव की तैयारी
भारत सरकार भी अब इसी वैश्विक मॉडल को आगे बढ़ाते हुए देश के 11 और एयरपोर्ट निजीकरण के लिए तैयार कर रही है। इसका उद्देश्य है, एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाना, आधुनिक तकनीक लाना, बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ देना।
अडानी ग्रुप का 15 अरब डॉलर का निवेश बनेगा विकास का इंजन
अडानी ग्रुप द्वारा किए जा रहे 15 अरब डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए) के विशाल निवेश से एयरपोर्ट्स की क्षमता 60% से अधिक बढ़ने की उम्मीद है। इससे न केवल तेजी से बढ़ते हवाई यात्री दबाव को संभाला जा सकेगा, बल्कि भारत वैश्विक एविएशन इंडेक्स में बड़े देशों की बराबरी पर खड़ा होगा।
लाखों नई नौकरियाँ और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
एयरपोर्ट विस्तार और निर्माण कार्यों से लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरी के अवसर पैदा होंगे। एयरपोर्ट्स के आसपास विकसित होने वाले नए व्यावसायिक क्षेत्र, होटल, लॉजिस्टिक्स और पर्यटन उद्योग भी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
भारतीय एविएशन सेक्टर का भविष्य अब वैश्विक स्तर पर
अडानी ग्रुप के बड़े पैमाने पर निवेश और सरकार की दूरदर्शी नीति से भारत अब दुनिया के अग्रणी एविएशन देशों की कतार में खड़ा हो रहा है। इससे साफ है कि भारत तेज़, आधुनिक और बड़े पैमाने पर विकास के उस दौर में प्रवेश कर चुका है, जिसकी कल्पना दशकों पहले की गई थी।
भारत में एयरपोर्ट विकास को मिलेगी बड़ी रफ़्तार: 11 और हवाईअड्डे निजी हाथों में, अडानी ग्रुप का 15 अरब डॉलर निवेश बनेगा गेम-चेंजर
