भोपाल। मध्यप्रदेश में सिविल जज परीक्षा की 121 आदिवासी (ST) आरक्षित सीटों पर एक भी चयन न होना अब बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गया है। राष्ट्रीय आदिवासी अधिवक्ता संघ के प्रमुख एड. सुनील कुमार ने इसे “सरकार की योजनाबद्ध आरक्षण-हत्या” बताते हुए भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है। एड. सुनील कुमार के अनुसार
121 सीटों पर ZERO चयन कोई गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित साज़िश है। सरकार बार-बार ST वर्ग के आरक्षित पदों को रिक्त छोड़ रही है। क्या मध्यप्रदेश में एक भी आदिवासी युवा जज बनने लायक नहीं? या भाजपा को न्यायपालिका में आदिवासी चेहरों से डर लगता है?
उन्होंने कहा कि बैकलॉग दबाया जा रहा है, चयन प्रक्रिया अपारदर्शी है और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में कोचिंग, पुस्तकालय व डिजिटल सुविधा का अभाव होने के बावजूद सरकार योग्य नहीं मिले जैसी बातें कहकर पल्ला झाड़ रही है। असल समस्या योग्यता की नहीं, बल्कि भाजपा की मनुवादी मानसिकता की है। बिरसा मुंडा गौरव दिवस पर शून्य चयन को उन्होंने आदिवासी समाज का अपमान बताया और मांग की कि सभी आरक्षित रिक्त पद 4 वर्ष से अधिक अवधि तक सुरक्षित रहें तथा सरल प्रक्रिया से भर्ती हो।
आदिवासी अधिवक्ताओं के प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर भोपाल के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर चेतावनी दी कि यह लड़ाई अब रुकने वाली नहीं। एक-एक सीट चोरी का हिसाब लिया जाएगा। यह सिर्फ भर्ती का मुद्दा नहीं यह आदिवासी समाज की न्यायिक भागीदारी और संविधान की आत्मा को बचाने की लड़ाई है। ज्ञापन देने वालों में एड. सूरज ठाकुर, एड. राजबली नैटिया, एड. राम कुमार, एड. अनुसुइया मरावी, एड. दिवाकर पेंड्राम, भरत भूषण किरण युइके, सुमन, रिंकू सहित कई सदस्य उपस्थित रहे।
सिविल जज परीक्षा में ST वर्ग का शून्य चयन बना बड़ा सवाल, भाजपा सरकार पर आरक्षण खत्म करने की साज़िश का आरोप तेज़
