State

दुनिया की सबसे बड़ी अभ्यास अदालत का शुभारंभ

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने JGLS में किया उद्घाटन

सोनीपत। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (JGU) और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (JGLS) ने इतिहास रचते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अभ्यास अदालत ‘न्यायाभ्यास मंडपम’ का भव्य शुभारंभ किया। भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और माननीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। इसी अवसर पर ईमानदार इंटरनेशनल मूटिंग अकादमी की भी शुरुआत की गई। यह आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इस अवसर पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के 26 मौजूदा एवं पूर्व न्यायाधीश, 10 पूर्व मुख्य न्यायाधीश, अंतरराष्ट्रीय न्यायविद, वरिष्ठ अधिवक्ता और 200 से अधिक कानूनी विशेषज्ञ एक साथ उपस्थित रहे। सम्मेलन का केंद्रीय विषय था, न्यायपालिका की स्वतंत्रता: अधिकारों, संस्थानों और नागरिकों पर तुलनात्मक विचार ।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर वैश्विक विमर्श

दो दिवसीय इस सम्मेलन में न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भारतीय लोकतंत्र की मूल अवधारणा बताते हुए विस्तृत चर्चाएँ हुईं। संविधान निर्माताओं की इस दृष्टि पर जोर दिया गया कि न्यायपालिका किसी भी बाहरी दखल से मुक्त रहकर कार्य करे, ताकि संविधान का मूल ढाँचा सुरक्षित रह सके।

मुख्य न्यायाधीश का संदेश: “सत्य, ईमानदारी और तकनीक, नई चुनौतियों से निपटने का रास्ता”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ईमानदारी वह आदर्श है, जिस पर कानून और न्याय की पूरी अवधारणा टिकी है। डीप फेक, फर्जी समाचार और डिजिटल फ्रॉड जैसे नए खतरे न्याय प्रणाली के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। ऐसे समय में संविधान की मूल भावना गरिमा, स्वतंत्रता, समता, समानता और बंधुता हमारा मार्गदर्शन करती है। उन्होंने डिजिटल प्राइवेसी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जलवायु न्याय जैसे उभरते संवैधानिक मुद्दों को भी प्रमुख बताया।

कानून मंत्री का बयान: AI, ई-कोर्ट और भाषा समाधान, न्याय व्यवस्था भविष्य के लिए तैयार

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि केंद्र सरकार न्याय व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है। ई-कोर्ट प्रोजेक्ट, AI आधारित टूल्स और भाषा संबंधी तकनीकों से आम नागरिक को न्याय की सुलभता मिलेगी। उन्होंने कहा कि संविधान हमें अधिकारों की रक्षा और निरंकुश शासन से सुरक्षा देता है। न्याय की मूल भावना न्याय, समानता और गरिमा हमारी सभ्यता की आधारशिला है।”

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के संदेश

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल को “युवाओं में न्याय और संविधान के प्रति विश्वास जगाने का उत्कृष्ट अवसर” बताते हुए बधाई दी। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने भी प्रेरक संदेश भेजे, जिन्हें कार्यक्रम में पढ़ा गया।

नवीन जिंदल का संबोधन: “विश्वविद्यालय लोकतंत्र की प्रयोगशाला”

JGU के संस्थापक कुलाधिपति और सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि  न्यायपालिका की असली ताकत जनता के भरोसे में निहित है। दुनिया की सबसे बड़ी अभ्यास अदालत छात्रों को उत्कृष्ट न्यायिक कौशल का प्रशिक्षण देगी और यह भारत की न्यायिक परंपरा को मजबूत करेगी। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को याद करते हुए न्यायपालिका की भूमिका को निर्णायक बताया।

अंतरराष्ट्रीय मूटिंग, ADR, AI और न्यायिक प्रशिक्षण पर फोकस

JGU के कुलपति प्रो.(डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा कि यह लॉ स्कूल को वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूत कदम है। ईमानदार  अकादमी से छात्रों और पेशेवरों को प्रशिक्षण, ADR कौशल और तकनीकी क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी।

केशवानंद भारती केस का ऐतिहासिक पुनर्मंचन
इस कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रहा केशवानंद भारती मामले का ऐतिहासिक मंचन
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने इसका प्रस्तुतिकरण किया।इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की 13 न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ ने इस मामले की विरासत पर चर्चा की। यह वही ऐतिहासिक फैसला (1973) है, जिसने संविधान की मूल संरचना सिद्धांत को स्थापित किया था।

छात्रों द्वारा प्रस्तुत अभ्यास कार्यवाही और विशेष सत्र

दूसरे दिन JGLS के छात्रों जियाना बजाज, अक्षत इंदुशेखर, परिधि जैन और हर्ष के द्वारा अभ्यास अदालत की कार्यवाही प्रस्तुत की गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट के 13 न्यायाधीशों की एक और पीठ ने अध्यक्षता की।

अंत में आभार एवं समापन

कार्यक्रम का संचालन प्रो. दीपिका जैन (कार्यकारी डीन, JGLS) ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार प्रो. पटनायक ने प्रस्तुत किया। यह आयोजन न केवल भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक नई शुरुआत है, बल्कि वैश्विक कानून शिक्षा जगत में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का भी प्रतीक है।

Related Articles