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एम्स भोपाल में विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह: जागरूकता, प्रशिक्षण और नवाचार पर विशेष फोकस

भोपाल। एम्स भोपाल में 18 से 24 नवंबर तक विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। एंटीबायोटिक दवाएं जहां जीवनरक्षक मानी जाती हैं, वहीं इनके गलत या अत्यधिक उपयोग से एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस (Antibiotic Resistance) तेजी से फैल रहा है, जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हर वर्ष इस सप्ताह को मनाने की अपील करता है ताकि आम जनता और स्वास्थ्यकर्मियों में एंटीबायोटिक के सही उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस संदर्भ में एम्स भोपाल ने जागरूकता को व्यापक बनाने के उद्देश्य से कई गतिविधियों का आयोजन किया है। पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए प्रशिक्षण सत्र और शैक्षणिक कार्यशालाएं सप्ताहभर चल रही हैं। मरीजों और उनके परिजनों के लिए नुक्कड़ नाटक और समूह चर्चाएं भी आयोजित की जा रही हैं, ताकि एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की समस्या को सरल भाषा में समझाया जा सके।

एम्स भोपाल ने राज्य में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस नियंत्रण के लिए तैयार मध्य प्रदेश स्टेट एक्शन प्लान (MPSAPCAR) और राज्य स्तरीय एंटीबायोटिक नीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी क्रम में 24 नवंबर को राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है, जिसमें एम्स दिल्ली के प्रो. (डॉ.) मनीष सोनेजा और एम्स मंगलगिरी के प्रो. (डॉ.) सुमित राय इस क्षेत्र में नवीनतम शोध और प्रगतियों पर व्याख्यान देंगे। एम्स भोपाल का यह सप्ताह स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत बनाने और एंटीबायोटिक के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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