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बेटी पूजन से सरकारी कार्यक्रमों की शुरुआत करने वाला मध्यप्रदेश,  बेटी के अपमान पर कार्रवाई करने में इतना विलंब क्यों कर रहा है?

लेखक : इंजी सुधीर नायक, अध्यक्ष,
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ भोपाल


वर्ष 2020 था।अक्टूबर या नवंबर का महीना था।हमारे मंत्रालयीन कर्मचारी संघ द्वारा दीपावली मिलन का कार्यक्रम रखा गया था।तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि थे।मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम था इसलिए समूचे कार्यक्रम की मिनट टू मिनट रूपरेखा पहले से ही तैयार थी।अचानक माननीय मुख्यमंत्री जी उठ गये।हम लोग घबरा गये कि क्या हुआ?
माननीय मुख्यमंत्री जी माइक के पास जाकर बोले सबसे पहले हम बेटी का पूजन करेंगे। उन्होंने सामने बैठी मेरी बेटी को बुलाया, कुर्सी पर बिठाया और उसकी पूजा की। फिर उन्होंने घोषणा की आगे हर सरकारी आयोजन बेटियों की पूजा से प्रारंभ होगा। 24 दिसंबर 2020 को इसका विधिवत आदेश भी जारी हो गया। हमारे मंत्रालय संगठन को इस बात का गर्व है कि बेटियों के पूजन की शुरुआत हमारे कार्यक्रम से ही हुई थी। सरकारी आयोजनों में बेटियों के पूजन की प्रथा शुरू हुई तो फिर इसका अनुसरण अशासकीय आयोजनों में भी होने लगा और चारों तरफ बेटियों के पूजन की प्राचीन संस्कृति पुनर्जीवित हो गयी।पूरे देश में मध्यप्रदेश पहला और संभवतः एकमात्र ऐसा राज्य था जहां सरकारी आयोजन बेटी पूजन से शुरू होते थे।बेटी पूजन, कन्या पूजन या कुमारी सेवा को हमारे सनातन धर्म में अति प्रभावकारी अनुष्ठान माना गया है। इसका फल तुरंत मिलने की बात कही गयी है।प्रातः स्मरणीय परम पूज्य महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ जी कविराज के सद्गुरुदेव विशुद्धानंद जी महाराज तो कुमारी पूजन पर इतना अधिक बल देते थे कि उनके किसी शिष्य से कोई ग़लती हो जाने पर उसके प्रायश्चित के लिए कुमारी पूजन करने का आदेश देते थे।उनका कहना था कि समय-समय पर कन्या पूजन करते रहने से हमारे दैनंदिन जीवन की गलतियों त्रूटियों का परिमार्जन हो जाता है।
       मुझे इसी बात का दुख है कि जिस मध्यप्रदेश ने बेटी पूजन, लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना जैसी योजनाओं के जरिए पूरे देश को नारी सम्मान की राह दिखाई उसी मध्यप्रदेश में बेटियों के बारे में इतनी गंदी टिप्पणी करने वाले एक अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई होने में इतना अधिक समय लग रहा है।मुझे विश्वास है कि कार्यवाही तो होगी पर न्याय समय से मिल जाए तभी उसकी सार्थकता है। नारी सशक्तिकरण की हमारी सारी योजनाओं का बाद में अन्य सभी प्रदेशों ने अनुसरण किया था।हम चाहते हैं कि बेटियों के प्रति अपशब्दों के मामले में कार्रवाई करने में भी मेरा प्रदेश अग्रणी बने। मध्यप्रदेश में कड़ी कार्रवाई कर एक ऐसी नजीर कायम की जाए जिसका अनुसरण दूसरे प्रदेश भी करें।

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