
रायसेन। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के 79 वर्षीय नरेशचंद सोनी अपनी ही जमीन के लिए शासन और प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। सीनियर सिटीजन नरेशचंद सोनी का आरोप है कि धोखाधड़ी और जालसाजी के जरिए उनकी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
नरेशचंद सोनी ने 1991 में रायसेन जिले के मंडीदीप स्थित सर्वे नंबर 447/1/2 (रकबा डेढ़ एकड़) भूमि खरीदी थी। 1999 में उन्होंने इसे हरमेन्दर सिंह बग्गा के भाई राजेश सिंह बग्गा को बेच दिया, लेकिन एक मौखिक समझौते के तहत तय हुआ कि जब भी वह धनराशि का इंतजाम कर लेंगे, तो जमीन दोबारा खरीद सकेंगे।
धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप
31 मई 2000 को नरेशचंद सोनी ने 3 लाख रुपये का भुगतान कर जमीन वापस खरीद ली।
12 जून 2000 को अतिरिक्त 3.25 लाख रुपये का भुगतान कर रजिस्ट्री बयाना की प्रक्रिया पूरी की।
दस्तावेजों के मुताबिक, सौदे के सभी कानूनी पहलू पूरे कर लिए गए, लेकिन बग्गा भाइयों ने रजिस्ट्री पूरी नहीं कराई।
जमीन हड़पने के लिए फर्जीवाड़ा
2014 में चार हजार वर्गफीट भूमि को बृजेन्द्र लौंवंशी को बेचा गया, जिसमें नरेशचंद सोनी सहमतिदाता थे। लेकिन, बाद में यह सामने आया कि रजिस्ट्री के दौरान एक पेज को बदलकर उनके नाम को हटा दिया गया।
इतना ही नहीं, हाल ही में जानकारी मिली कि राजेश सिंह बग्गा ने धोखाधड़ी से पूरी जमीन अपने बेटे मंजोत सिंह के नाम ट्रांसफर कर दी, जबकि इस भूमि पर नरेशचंद सोनी के नाम का बोर्ड आज भी लगा हुआ है।
शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार
79 वर्षीय नरेशचंद सोनी ने मीडिया के जरिए शासन और प्रशासन से मांग की है कि:
1. दस्तावेजों की गहन जांच हो।
2. बग्गा भाइयों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज किया जाए।
3. उनकी जमीन वापस दिलाई जाए।
कब मिलेगा इंसाफ?
यह मामला न सिर्फ एक सीनियर सिटीजन के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह लोग जालसाजी कर जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है और नरेशचंद सोनी को कब तक न्याय मिलता है।





