
भोपाल । भोपाल में बुधवार को जनजातीय कार्य विभाग के अस्थायी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में विभागीय मुख्यालय आदि भवन, अरेरा हिल्स पर जोरदार प्रदर्शन किया। बैतूल जिले से आए सैकड़ों कर्मचारियों ने “कर्मचारी विरोधी आदेश वापस लो” और “सहायक आयुक्त की तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाते हुए विभाग द्वारा जारी विवादित आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग उठाई।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारियों ने आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग को दो सूत्रीय ज्ञापन सौंपा, जिसमें
सहायक आयुक्त (जिला बैतूल) द्वारा 3 नवंबर 2025 को जारी कर्मचारी विरोधी आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए साथ ही सेवा से पृथक किए गए दैनिक वेतन भोगी, भृत्य एवं अंशकालीन कर्मचारियों को पुनः सेवा में बहाल किए जाने की मांग की थी।
कर्मचारियों का आरोप: 10–15 साल से सेवा में, फिर भी अचानक हटाया
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बैतूल जिले के सहायक आयुक्त ने बिना शासन और मुख्यालय के निर्णय के दर्जनों अस्थायी कर्मचारियों को सेवा से अलग करने का आदेश जारी किया है।
उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी 10 से 15 साल से निरंतर सेवा दे रहे हैं, अचानक सेवा से पृथक करना पूरी तरह कर्मचारी विरोधी और गैर-न्यायोचित कदम है।
15 दिन का अल्टीमेटम, नहीं माना तो अनिश्चितकालीन आंदोलन
कर्मचारी मंच ने विभाग प्रमुख को 15 दिनों की समय सीमा दी है। यदि हटाए गए कर्मचारियों को सेवा में वापस नहीं लिया गया और विवादित आदेश निरस्त नहीं किया गया, तो कर्मचारी मंच ने जनजातीय कार्य विभाग मुख्यालय में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। प्रदर्शन में प्रमोद बड़ंगे (जिला अध्यक्ष बैतूल), राजेश श्रवण, संजू, संदीप आहके, चंपा वावटी, जयंती उइके, शोभा धुर्वे, सीता नायक, रानी पाल सहित बड़ी संख्या में दैनिक वेतन भोगी एवं अंशकालीन कर्मचारी शामिल हुए।



