ई-अटेंडेंस प्रणाली पर बवाल: अस्थाई कर्मचारियों के शोषण का आरोप, मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने किया विरोध

भोपाल। मध्यप्रदेश के विभिन्न शासकीय विभागों में लागू की जा रही ई-अटेंडेंस प्रणाली अब विवादों में घिर गई है। प्रदेश के अस्थाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि अधिकारी इस व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए उनके मानव अधिकारों का हनन और वेतन कटौती कर रहे हैं। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि ई-अटेंडेंस प्रणाली को केवल प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के स्थायी अधिकारियों व कर्मचारियों तक सीमित रखा जाए। वहीं शिक्षकों, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, दैनिक वेतनभोगी, अस्थाई कर्मचारियों और श्रमिकों को इससे छूट दी जाए।
फोरम के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ई-अटेंडेंस प्रणाली ने अधिकारियों को “शोषण का ब्रह्मास्त्र” दे दिया है। उनका कहना है कि पिछले पांच दशकों से विभागों में रजिस्टर आधारित उपस्थिति प्रणाली सार्थक और प्रमाणित रही है। नई डिजिटल प्रणाली में डेटा के डिलीट या छेड़छाड़ होने की आशंका भी बनी रहती है।
पांडे ने यह भी कहा कि छोटे संवर्ग के कर्मचारी स्मार्टफोन या इंटरनेट सुविधाओं के अभाव में इस प्रणाली का सही उपयोग नहीं कर पाते, जिससे उनकी उपस्थिति गलत दर्ज होती है और वेतन कटौती जैसी अन्यायपूर्ण स्थितियां उत्पन्न होती हैं।
कर्मचारी मंच ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र ही ई-अटेंडेंस नीति पर पुनर्विचार नहीं किया और कर्मचारियों को राहत नहीं दी, तो संगठन “पोस्टकार्ड आंदोलन” शुरू करेगा। यह मामला प्रदेश में ई-गवर्नेंस बनाम मानव अधिकारों की बहस को और गहरा रहा है, और आने वाले दिनों में सरकार पर इस नीति को संशोधित करने का दबाव बढ़ सकता है।



